
गणपति बप्पा “मोरया” क्यों कहते हैं…
भक्त मोरया गोस्वामी कर्नाटक के एक छोटे से गांव से थे, वे गणेश जी के परम भक्त थे, हर जीव
भक्त मोरया गोस्वामी कर्नाटक के एक छोटे से गांव से थे, वे गणेश जी के परम भक्त थे, हर जीव
वैदिक पथिक-गोस्वामी तुलसीदासजी ने एक बड़ीगूढ़ बात कही है – रवि पंचक जाके नहीं, ताहि चतुर्थी नाहिं।तेहि सप्तक घेरे रहे,
वृन्दावन में श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है। यह भी
आप में केवल भगवत्प्राप्ति की तङफ हो जाय। वह तङफ ऐसी हो, जिसकी कभी विस्मृति न हो। तात्पर्य है कि
श्रावण मास में भगवान शिव को नमन करते हुए उनकी छटा के दर्शन करें। शिवजी का वाहन नंदी है, वृषभ
ॐ आध्यात्मिक दर्शन ॐॐ मैं और ज्ञाता ॐॐ इस मैं की खोज ॐज्ञाता:- पुनः पूछता है।हे मैं तुम कौन हो।मैं:-
मैं भगवान् नहीं भगवान् का भक्त बनना चाहता हूँ , क्योंकि भगवान् स्वयं से भी उतना प्रेम नहीं करते जितने
परोपकारी व्यक्ति सदा दूसरों के प्रति करुणा का भाव रखते हैं और उनकी ख़ुशी और उनके सुख में अपना सुख
बहुत-से लोग कहा करते हैं कि यथाशक्ति चेष्टा करने पर भी भगवान् हमें दर्शन नहीं देते……! वे लोग भगवान् को
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरेराधे राधे राधे राधेसेवा एक