अवन्तीप्रदेशके कुरघर नगरमें साधु कोटिकर्ण पधारे थे। उनका प्रवचन सुनने नगरके श्रद्धालु जनोंकी भीड़ एकत्र होती थी। श्राविका कातियानी भी नियमपूर्वक कथा श्रवण करती थी। चोरोंने यह अवसर लक्षित कर लिया। एक दिन जब कातियानी कथा सुनने गयी, चोरोंने उसके घरमें सेंध लगायी और भीतर घुस गये। संयोगवश कातियानीने एक दासीको भेजा- ‘घर जाकर थोड़ा तेल ले आ । कथामें प्रदीप जलता ही है, मेरा तेल भी उसके उपयोगमें आ जायगा।’ दासी घर गयी; किंतु सेंध लगी देखकर घरके बाहरसे ही लौटी और दौड़ती हुई अपनी स्वामिनीके पास आयी। वह कह रही थी- ‘आप शीघ्र घर चलें ! घरमें चोरोंने सेंध लगायी है।’
कातियानीने धीरेसे कहा-‘चुपचाप बैठ। कथामें विघ्न मत कर। चोर धन ही तो ले जायेंगे। मेरे प्रारब्धमें धन होगा तो फिर मिलेगा; किंतु सत्पुरुषके द्वाराजीवनको पवित्र बनानेवाला ऐसा उपदेश फिर कहाँ प्राप्त होगा।’
कातियानीके घरमें सेंध लगाकर चोर भीतर घुसे थे और उनका सरदार घरसे कुछ दूर खड़ा हुआ देख रहा था कि कोई आता तो नहीं है। कोई आशंकाकी बात होनेपर साथियोंको सावधान कर देना उसका काम था। दासी घरके पास आकर जब लौटी, तब उस सरदारने छिपे-छिपे उसका पीछा किया और इस प्रकार वह भी कथा – स्थलतक गया। कातियानीकी बातें उसने सुनीं। उसे बड़ी ग्लानि हुई- ‘कहाँ तो यह धर्मात्मा नारी और कहाँ मैं अधम पापी कि इसीके घर चोरी करा रहा हूँ।
चोरोंका सरदार शीघ्र लौट पड़ा। उसने अपने साथियोंको बिना कुछ लिये उस घरसे निकल चलनेका आदेश दिया। चोर वहाँसे निकल गये । परंतु जब कातियानी कथासे लौट आयी, तब सब चोर अपनेसरदारके साथ उसके घर फिर आये। वे हाथ जोड़कर बोले- ‘देवी! आप हमें क्षमा करें।’ कातियानीने कहा ‘भाइयो! मैं तो आपलोगोंको
पहचानती ही नहीं। आपने तो मेरा कोई अपराध कियानहीं है।’
‘हमने आपके घरमें सेंध लगायी। अब हम प्रतिज्ञा करते हैं कि चोरीका यह पाप फिर कभी नहीं करेंगे।’ चोर उस देवीके चरणोंपर गिर पड़े।
-सु0 सिं0
Sage Kotikarna had come to Kurghar town of Avanti Pradesh. Crowds of devotees of the city used to gather to listen to his discourse. Shravika Katiyani also regularly used to listen to stories. Thieves targeted this opportunity. One day when Katiyani went to listen to the story, thieves broke into her house and entered inside. Coincidentally, Katiyani sent a maid- ‘Go home and bring some oil. The lamp burns in the story, my oil will also be used for it. The maid went home; But seeing the dent, she returned from outside the house and came running to her mistress. She was saying- ‘You go home soon! Thieves have made a dent in the house.
Katya said softly – ‘Sit quietly. Don’t disturb the story. Thieves will only take away the money. If there is money in my destiny, then I will get it; But where else will one get such teachings that purify life from a good man.’
Thieves had entered Katiyani’s house by breaking into it and their Sardar was standing at some distance from the house to see if anyone came. It was his job to warn his colleagues in case of any apprehension. When the maid returned after coming near the house, then that Sardar secretly followed her and in this way he too went to the place of the story. He listened to Katiyani’s words. She felt very guilty – ‘Where is this pious woman and where am I, a lowly sinner, stealing her house.
The leader of thieves returned soon. He ordered his companions to leave the house without taking anything. The thieves left from there. But when Katiyani returned from the story, all the thieves came back to her house with their leader. They folded hands and said – ‘ Goddess! You forgive us. Katya said, ‘Brothers! me to you
Doesn’t even recognize. You have not committed any crime against me.
‘We burgled your house. Now we pledge that we will never commit this sin of theft again.’ Thieves fell at the feet of that goddess.
– Su 0 Sin 0