काशीके कुछ पण्डित आचार्य शंकरसे द्रोह मानते थे। एक दिन काशीके कुछ पण्डितोंने आचार्य शंकरके ऊपर एक कटहे कुत्तेको काटनेके लिये ललकारा।अपने ऊपर कुत्तेको झपटते देख आचार्य शंकर एक ओर हट गये। आचार्यको हटते देखकर पण्डितोंने कहा ‘आप जब अद्वैतवादके समर्थक हैं, तब इस नाशवान्शरीरसे क्या डर और वही एक नियन्ता तो कुत्तेमें भी वर्तमान है।’ आचार्यने कहा, ‘तथास्तु, जिस प्रकार यहशरीर अनित्य है, उसी प्रकार कुत्तेसे भय करना भी तो अनित्य है।’ पण्डित लोग इस तर्कसे अवाक् हो गये।
Some Pandits of Kashi considered Acharya Shankar to be a traitor. One day some Pandits of Kashi challenged Acharya Shankar to bite a stray dog. Seeing the dog pouncing on him, Acharya Shankar moved aside. Seeing the Acharya moving away, the pundits said, ‘When you are a supporter of monism, then why fear this mortal body and the same controller is present even in a dog.’ Acharya said, ‘Well, just as this body is impermanent, in the same way the fear of a dog is also impermanent.’ The pundits were speechless by this argument.