चमत्कार नहीं, सदाचार चाहिये

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गौतम बुद्धके समयमें एक पुरुषने एक बहुमूल्य चन्दनका एक रत्नजटित शराव (बड़ा प्याला) ऊँचे खंभेपर टाँग दिया और उसके नीचे यह लिख दिया ‘जो कोई साधक, सिद्ध या योगी इस शरावको बिना किसी सीढ़ी या अंकुश आदिके, एकमात्र चमत्कारमय मन्त्र या यौगिक शक्तिसे उतार लेगा, मैं उसकी सारी इच्छा पूर्ण करूँगा।’ उसने इसकी देख-रेखके लिये वहाँ कड़ा पहरा भी नियुक्त कर दिया।

कुछ ही समयके बाद कश्यप नामका एक बौद्ध भिक्षु वहाँ पहुँचा और केवल उधर हाथ बढ़ाकर उस शरावको उतार लिया। पहरेके लोग आश्चर्यचकित नेत्रोंसे देखते ही रह गये और कश्यप उस शरावको लेकर बौद्ध विहारमें चला गया।

बात की बातमें एक भीड़ एकत्रित हो गयी। वह भीड़ भगवान् बुद्धके पास पहुँची। सबने प्रार्थना की—’ भगवन्! आप निःसंदेह महान् हैं; क्योंकि कश्यपने, जो आपके अनुयायियोंमेंसे एक हैं, एक शरावको,जो बड़े ऊँचे खंभेपर टँगा था, केवल ऊपर हाथ उठाकर उतार लिया और उसे लेकर वे विहारमें चले गये।’

भगवान्का इसे सुनना था कि वे वहाँसे उठ पड़े। वे सीधे चले और पहुँचे उस विहारमें सीधे कश्यपके पास। उन्होंने झट उस रत्नजटित शरावको पटककर तोड़ डाला और अपने शिष्योंको सम्बोधित करते हुए कहा- ‘सावधान! मैं तुमलोगोंको इन चमत्कारोंका प्रदर्शन तथा अभ्यासके लिये बार-बार मना करता हूँ। यदि तुम्हें इन मोहन, वशीकरण, आकर्षण और अन्यान्य मन्त्र-यन्त्रोंके चमत्कारोंसे जनताका प्रलोभन ही इष्ट है तो मैं सुस्पष्ट शब्दोंमें कह देना चाहता हूँ कि अद्यावधि तुमलोगोंने धर्मके सम्बन्धमें कोई जानकारी नहीं प्राप्त की । यदि तुम अपना कल्याण चाहते हो तो इन चमत्कारोंसे बचकर केवल सदाचारका अभ्यास करो।’ -जा0 श0

In the time of Gautama Buddha, a man hung a precious sandalwood jeweled shrao (big cup) on a high pole and wrote below it ‘Whoever aspirant, siddha or yogi will take down this sharao without any ladder or curb etc., by a single miraculous mantra or yogic power’ , I will fulfill all his wishes.’ He also appointed a strict guard there to take care of it.
After some time, a Buddhist monk named Kashyap reached there and only by extending his hand there took off that wine. The people of the guard kept watching with surprised eyes and Kashyap went to the Buddhist monastery with that wine.
A crowd gathered on the matter of talk. That crowd reached Lord Buddha. Everyone prayed-‘ God! You are undoubtedly great; Because Kashyap, who is one of your followers, took down a drunkard who was hanging on a big pole, just by raising his hand and took him to the monastery.’
God had to listen to this that he got up from there. They walked straight and reached that vihara straight to Kashyap. He quickly broke that jeweled wine by slamming it and while addressing his disciples said – ‘Be careful! I repeatedly forbid you to perform and practice these miracles. If you only like to tempt the public with the miracles of these Mohan, Vashikaran, Attraction and other mantras, then I want to say in clear words that you have not received any information regarding religion in recent times. If you want your welfare, avoid these miracles and practice only virtue.’ -Ja0 Sh0

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