संकटका साथी
एक शिकारी था। एक दिन सुबहसे उसे कोई शिकार नहीं मिला। इससे वह उद्विग्न हो उठा। उसके पास एक विष बुझा तीर था। हताश और क्रोधित शिकारी गहन वनमें प्रवेश कर गया। उसे कुछ मृग दीख पड़े। उसने निशाना साधा और तीर चला दिया। मृग भाग निकले और तीर चूक गया। तीर मृगोंको न लगकर एक विशाल वटवृक्षमें जा लगा। शिकारी समझ गया कि यह वृक्ष अधिक दिनोंका मेहमान नहीं है। वह अपने गाँव चला गया।
उस वृक्षपर अनेक पक्षी रहते थे। वे वृक्षपर लगे फल खाते और गीत गाते थे। विष बुझे तीरके प्रभावसे वृक्ष सूखने लगा। डालियाँ सूखकर जमीनपर गिरने लगीं। पक्षी भयभीत होकर घोंसला छोड़ने लगे। उस विशाल वृक्षके कोटरमें एक तोता निवास करता था। वृक्षपर आये इस संकटसे वह चिन्तामें पड़ गया। वह कई सालोंसे यहीं रहता था और इस संकटकी घड़ीमें वृक्षको छोड़कर जाना नहीं चाहता था।
देवताओंके राजा इन्द्र यह सब देख रहे थे। वे ब्राह्मणका रूप धरकर तोतेके पास आये। बोले-‘इस सूखे वृक्षके कोटरमें क्यों पड़े हो? इसे छोड़ दो।’ तोता बोला—‘देवराज। मैंने आपको पहचान लिया। आपका
companion in trouble
There was a hunter. One morning he did not find any prey. This made him anxious. He had a poisoned arrow. Desperate and angry the hunter entered the deep forest. He saw some deer. He took aim and shot the arrow. The deer escaped and the arrow missed. The arrow instead of hitting the antelope went into a huge banyan tree. The hunter understood that this tree is not a guest for long. He went to his village.
Many birds lived on that tree. They used to eat the fruits of the tree and sing songs. The tree started drying up due to the effect of the poisoned arrow. The branches dried up and started falling on the ground. The birds got scared and started leaving the nest. A parrot used to live in the hollow of that huge tree. He got worried due to this crisis that came on the tree. He lived here for many years and did not want to leave the tree in this hour of crisis.
Indra, the king of the gods, was watching all this. He came to the parrot in the form of a Brahmin. Said – ‘Why are you lying in the hollow of this dry tree? Leave it. The parrot said – ‘Devraj. I recognized you Yours