🌷”वृंदावन” में एक भक्त रहते थे जो स्वभाव से बहुत ही भोले थे। उनमे छल, कपट, चालाकी बिलकुल नहीं थी। बचपन से ही वे “श्री वृंदावन” में रहते थे,
🌷श्री कृष्ण स्वरुप में उनकी अनन्य निष्ठा थी और वे भगवान् को अपना सखा मानते थे। बहुत शुद्ध आत्मा वाले थे, जो मन में आता है, वही भगवान से बोल देते है ।
🌷 वो भक्त कभी “वृंदावन” से बाहर गए नहीं थे। एक दिन भोले भक्त जी को कुछ लोग “श्री जगन्नाथ पुरी” में भगवान् के दर्शन करने ले गए। पुराने दिनों में बहुत भीड़ नहीं होती थी। अतः वे सब लोग श्री जगन्नाथ भगवान् के बहुत पास दर्शन करने गए ।
🌷भोले भक्त जी ने श्री जगन्नाथजी का स्वरुप कभी देखा नहीं था उसे अटपटा लगा ।
उसने पूछा – ये कौन से भगवान् है ?
🌷ऐसे डरावने क्यों लग रहे है ?
🌷सब पण्डा पूजारी लोग कहने लगे – ये भगवान् श्री कृष्ण ही है, प्रेम भाव में इनकी ऐसी दशा हो गयी है
🌷जैसे ही उसने सुना – वो जोर जोर से रोने लग गया और ऊपर जहां भगवान् विराजमान हैं वहाँ जाकर चढ़ गया । सब पण्डा पुजारी देखकर भागे और उससे कहने लगे कि नीचे उतरो परंतु वह नीचे नहीं उतरा उसने भगवान् को आलिंगन देकर कहा –
।
“🌷अरे कन्हैया ! ये क्या हालात बना रखी है तूने ? ये चेहरा कैसे फूल गया है तेरा , तेरे पेट की क्या हालत हो गयी है । यहां तेरे खाने पीने का ध्यान नहीं रखा जाता क्या ? मैं प्रार्थना करता हूं , तू मेरे साथ अपने ब्रज में वापस चल । मै दूध, दही , माखन खिलाकर तुझे बढ़िया पहले जैसा बना दूंगा , सब ठीक हो जायेगा तू चल ।
🌷पण्डा पुजारी उन भक्त जी को नीचे उतारने का प्रयास करने लगे , कुछ तो नीचे से पीटने भी लगे परंतु वह रो – रो कर बार – बार यही कह रहा था कि कन्हैया , तू मेरे साथ “ब्रज” में चल , मै तेरा अच्छी तरह ख्याल करूँगा । तेरी ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही ।
🌷अब वहाँ गड़बड़ मच गयी तो भगवान् ने अपने माधुर्य श्रीकृष्ण रूप के उसे दर्शन करवाये और कहा – भक्तों के प्रेम में बंध कर मैंने कई अलग-अलग रूप धारण किये हैं, तुम चिंता मत करो । जो जिस रूप में मुझे प्रेम करता है मेरा दर्शन उसे उसी रूप में होता है , मै तो सर्वत्र विराजमान हूँ ।
🌷उसे श्री जगन्नाथजी ने समझा बुझाकर आलिंगन वरदान किया और आशीर्वाद देकर वृंदावन वापस भेज दिया । इस लीला से स्पष्ट है कि जिसमे छल कपट नहीं है।
🌷जो शुद्ध हृदय वाला भोला भक्त है,
उसे *भगवान् सहज मिल जाते है…जय जय श्री श्री राधेकृष्ण जी।🙏
🌷 A devotee lived in “Vrindavan” who was very innocent by nature. There was absolutely no deceit, hypocrisy, cleverness in them. Since childhood he lived in “Sri Vrindavan”,
🌷 He had exclusive loyalty in the form of Shri Krishna and he considered God as his friend. He was very pure soul, whatever comes in mind, he speaks to God.
🌷 Those devotees had never gone out of “Vrindavan”. One day some people took Bhole Bhakt ji to “Shri Jagannath Puri” to have darshan of God. In the old days there was not much crowd. So all of them went to have darshan of Shri Jagannath very near.
🌷 Bhole Bhakt ji had never seen the form of Shri Jagannathji, he felt strange. He asked – which God is this?
🌷 Why are you looking so scary?
🌷 All Panda worshipers started saying – this is Lord Shri Krishna, he has become like this in love.
🌷 As soon as he heard – he started crying loudly and climbed up where God is sitting. All the pandas ran after seeing the priest and asked him to get down, but he did not come down. He hugged the Lord and said – , “O Kanhaiya, what kind of situation have you created? How has your face become puffy, what is the condition of your stomach. Is your food and drink not taken care of here? I pray, you stay with me in your Go back to Braj, I will feed you milk, curd, butter and make you as good as before, everything will be fine, you go.
🌷 Panda priests started trying to bring that devotee down, some even started beating him from below, but he kept crying and saying this again and again that Kanhaiya, come with me to “Braj”, I will treat you well. Will take care I cannot see your condition like this.
🌷 Now there was a mess, so God made him see his sweetness in the form of Shri Krishna and said – I have taken many different forms by being tied in the love of the devotees, don’t worry. The one who loves me, sees me in the same form, I am present everywhere.
🌷 Shri Jagannathji understood him and blessed him with a hug and blessed him and sent him back to Vrindavan. It is clear from this leela that there is no deceit in it.
One who is a pure hearted innocent devotee, He finds * God easily… Jai Jai Shri Shri Radhekrishna ji.🙏