पत्थर का भाग्य राम बने
ये पत्थर 6 करोड़ साल पुराने है…..हो सकता है ये पत्थर 6 करोड़ साल से अभिशप्त हो और मुक्ति के
ये पत्थर 6 करोड़ साल पुराने है…..हो सकता है ये पत्थर 6 करोड़ साल से अभिशप्त हो और मुक्ति के
यह कथा ‘भक्तमाल’ ग्रन्थ से ली गई है, अत: इसके पात्र और स्थान सत्य घटना पर आधारित हैं ।बूंदी नगर
विश्वके भक्तोंमें भक्तप्रवर श्रीप्रह्लाद और ध्रुवकी भक्ति, प्रेम, सहिष्णुता अत्यन्त ही अलौकिक थी। दोनों प्रातःस्मरणीय भक्त श्रीभगवान्के विलक्षण प्रेमी थे।
मैंने अपने शहर को इतना विह्वल कभी नहीं देखा! तीन से चार लाख लोग सड़क किनारे हाथ जोड़े खड़े हैं।अयोध्या
.स्वाति नक्षत्र था। वारिद जलबिंदु तेजी से चला आ रहा था।.वृक्ष की हरित नवल कोंपल ने रोककर पूछा.. ‘‘प्रिय !
स्वामी विवेकानंद एक बार एक रेलवे स्टेशन पर बैठे थे उनका अयाचक (ऐसा व्रत जिसमें किसी से मांग कर भोजन
न जाने कौन से गुण पर कृपा निधि रीझ जाते है द्वापर में चक्रिक नामक एक भील वन में रहता
🌷”वृंदावन” में एक भक्त रहते थे जो स्वभाव से बहुत ही भोले थे। उनमे छल, कपट, चालाकी बिलकुल नहीं थी।
चार महीने बीत चुके थे, बल्कि 10 दिन ऊपर हो गए थे, किंतु बड़े भइया की ओर से अभी तक
1990 की_घटना.. असम से दो सहेलियाँ रेलवे में भर्ती हेतु गुजरात रवाना हुई. रास्ते में स्टेशन पर गाडी बदलकर आगे