देवर्षि नारद जी प्राकट्योत्सव पर्व है।

||नारायण नारायण||मित्रों, सुप्रभातम्

शनिवार, 6 मई, 2023
विक्रमी संवत 2080, शक संवत 1945
ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष
नक्षत्र: विशाखा
प्रथमा तिथी
देवर्षि नारद ज०

पर्व मंथन

आज देवर्षि नारद जी प्राकट्योत्सव पर्व है। नारद मुनि जी को ब्रह्मा जी का मानस पुत्र कहा जाता है। इस पावन पर्व के उपलक्ष्य पर देश भर में कई प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन्हें इस विश्व का, ब्रह्ममाण्ड का सर्वप्रथम पत्रकार भी कहा जाता है। नारद मुनि को सदैव भ्रमण शील होने का वरदान मिला हुआ था। इसलिए वह कभी भी एक स्थान पर अधिक समय नहीं रहते। हिन्‍दू शास्‍त्रों के अनुसार नारद जी को ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रों में से एक माना गया है। नारद जी को देवताओं के ऋष‍ि माना जाता है, इसी कारण उन्‍हें देवर्षि भी कहा जाता है। मान्‍यता है कि नारद मुनि तीनों लोकों में विचरण करते रहते हैं। नारद मुनि भगवान श्री विष्णु के भक्त और सदैव नारायण नारायण

नाम का स्मरण करते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते रहते हैं। देवर्षि नारद भक्ति तथा शक्ति का अदभुत समन्वय रहे हैं। यह सदैव लोक कल्याण के प्रचार और प्रसार को अविरल गति से प्रवाहित करने वाले एक महत्वपूर्ण ऋषि भी हैं। शास्त्रों के अनुरुप सृष्टि में एक लोक से दूसरे लोक में विचरण करते हुए नारद मुनि सभी के कष्टों को प्रभु के समक्ष रखते हैं।

सभी जन की सहायता करते हैं। देवर्षि नारद देव और दैत्यों सभी में पूजनीय स्थान प्राप्त करते हैं। सभी वर्ग इनका उचित सम्मान 🙏🏻 करते हैं, क्योंकि ये किसी एक पक्ष की बात नहीं करते हैं, अपितु सभी वर्गों को साथ में लेकर चलने की इनकी अवधारणा ही इन्हें सभी का पूजनीय भी बनाती है। कुल 18 पुराणों में से एक नारद पुराण, ऋषिराज नारद मुनि को समर्पित है।

ब्रह्मऋषि नारद जी को शास्त्रों का रचयिता, आचार्य, भक्ति से परिपूर्ण, वेदों का जानकार माना गया। संगीत शास्त्र में भी इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इनके द्वारा किये गए अनेकों श्रेष्ठ कार्य सृष्टि के संचालन में अत्यंत महत्व रखते है। माता लक्ष्मी जी का विवाह भगवान विष्णु के साथ होना, भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह संपन्न कराना, उर्वशी और पुरुरवा का संबंध स्थापित करना, महादेव द्वारा जलंधर का विनाश करवाना, महर्षि वाल्मीकि को रामायण की रचना निर्माण की प्रेरणा देना, व्यासजी से भागवत की रचना करवाना इत्यादि अनेकों कार्यों को उन्हीं के द्वारा प्रेरणा , सम्पूर्णता मिली। वेद एवं पुराण में ऋषि नारद जी के संदर्भ में अनेकों कथाएं प्राप्त होती हैं, हर स्थान में इनका होना उल्लेखनिय भूमिका दर्शाता है, चाहे शिवपुराण हो या विष्णु पुराण। श्रीमदभागवद में तो भगवान श्री विष्णु स्वयं को नारद कहते हैं..!!

आप सभी को परिवार सहित देवर्षि नारद के पवित्र प्राकट्योत्सव पर्व की मंगलमय कामनायें, प्रसन्न रहें, एक बार प्रेम से अवश्य कहें/लिखें, जय जय श्रीराधेकृष्णा, जय जय सियाराम, 0ईश्वर सदैव हमारे संग हैं आपका दिन मंगलमय हो



||Narayan Narayan||Friends, good morning

Saturday, May 6, 2023 Vikrami Samvat 2080, Saka Samvat 1945 Jyestha month Krishna Paksha Nakshatra: Visakha first date Devarshi Narad J.

feast churning

Today is Devarshi Narad ji Prakatyotsav festival. Narad Muni ji is called the Manas son of Brahma ji. Many types of religious programs are organized across the country on the occasion of this auspicious festival. He is also called the first journalist of this world, universe. Narad Muni was blessed with the boon of always traveling. That’s why they never stay in one place for long. According to Hindu scriptures, Narad ji has been considered as one of the seven Manas sons of Brahma ji. Narad ji is considered the sage of the gods, that is why he is also called Devarshi. It is believed that Narad Muni keeps roaming in all the three worlds. Narad Muni devotee of Lord Shri Vishnu and always Narayan Narayan

Remembering the name, he keeps on traveling from one place to another. Devarshi Narad has been a wonderful combination of devotion and power. He is also an important sage who always keeps the promotion and dissemination of public welfare flowing at an uninterrupted pace. According to the scriptures, while moving from one world to another in the world, Narad Muni puts everyone’s sufferings before the Lord.

He helps everyone. Devarshi Narad Dev and demons get worshipable place in all. All classes respect him properly, because he does not talk about any one side, but his concept of taking all classes together makes him worshipable by all. Narad Puran, one of the total 18 Puranas, is dedicated to Rishiraj Narad Muni.

Brahmarishi Narad ji was considered the creator of the scriptures, Acharya, full of devotion, knowledgeable of the Vedas. His role has also been important in music science. Many excellent works done by them are very important in the operation of the world. Marriage of Mother Lakshmi with Lord Vishnu, Marriage of Lord Shiva with Goddess Parvati, Establishment of relationship between Urvashi and Pururava, Destruction of Jalandhar by Mahadev, Inspiring Maharishi Valmiki to compose Ramayana, Bhagwat with Vyasji Many works got inspiration and completion through him. Many stories are found in Vedas and Puranas in the context of Rishi Narad ji, his presence in every place shows a remarkable role, be it Shivpuran or Vishnu Puran. Lord Shri Vishnu himself is called Narad in Shrimad Bhagwad..!!

Best wishes to all of you along with your family on the holy festival of Devarshi Narad, be happy, do say / write once with love, Jai Jai Shriradhekrishna, Jai Jai Siyaram, 0 God is always with us, have a nice day

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