कैसे भी जप करो

श्रील प्रभु

जब आप जप करते हैं तो आपका मन पूरे ब्रह्मांड में भटक रहा होता है।
फिर भी जप करो!

जब आप जप करते हैं तो आपका मन अतीत तथा भविष्य में भटक रहा होता है।
फिर भी जप करो!

जब आप जप करते हैं तो आप कृष्ण के नामों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं।
फिर भी जप करो!

आपको जप करने में कोई रुचि नहीं है।
फिर भी जप करो!

आपकी कामुक इच्छाएँ हैं।
फिर भी जप करो!

आप जप में अपराध कर रहे हैं।
फिर भी जप करो!

आप बेहतर जप करने के लिए कृष्ण से प्रार्थना नहीं कर रहे हैं।
फिर भी जप करो!

आप प्राय: देर रात्रि में जप करते हैं ।
फिर भी जप करो!

तो क्यों?
उपरोक्त सभी बाधाओं के बावजूद आपको जप क्यों करना चाहिए?

इसलिए की:
पवित्र नाम के जप के समान कोई व्रत नहीं है, इससे श्रेष्ठ कोई ज्ञान नहीं है, इसके समीपवर्ती कोई साधना नहीं है, तथा यह सर्वोच्च फल प्रदान करता है।

इसके समान कोई तपस्या नहीं है, तथा पवित्र नाम के समान कुछ भी प्रभावयुक्त या शक्तिशाली नहीं है।
जप धर्मपरायणता का सबसे बड़ा कार्य और परम शरण है।

यहाँ तक कि वेदों के शब्दों में भी इतनी शक्ति नहीं है कि वे उसके परिमाण का वर्णन कर सकें।

जप मुक्ति, शांति और शाश्वत जीवन का सर्वोच्च मार्ग है।

यह भक्ति की पराकाष्ठा है, हृदय की आनंदमयी प्रवृत्ति एवं आकर्षण है तथा परमेश्वर के स्मरण का सर्वोत्तम रूप है।

पवित्र नाम केवल जीवों के स्वामी एवं भगवान्, उनकी सर्वोच्च पूजनीय वस्तु तथा उनके आध्यात्मिक मार्गदर्शक एवं गुरु के रूप में उनके लाभ के लिए प्रकट हुआ है।

~ श्रील भक्तिविनोद ठाकुर, शरणागति (आदि-पुराण से उद्धृत)

जो कोई भी अपनी नींद में भी निरंतर भगवान् कृष्ण के पवित्र नाम का जप करता है, वह सरलता से अनुभव कर सकता है कि कलियुग के प्रभाव के बावजूद नाम स्वयं कृष्ण का प्रत्यक्ष रूप है।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।🙏🏻🙏🏻🙏🏻



Srila Prabhu

When you chant, your mind is wandering all over the universe. Still chant!

When you chant your mind is wandering in past and future. Still chant!

When you chant, you are unable to concentrate on the names of Krishna. Still chant!

You have no interest in chanting. Still chant!

You have carnal desires. Still chant!

You are committing a crime in chanting. Still chant!

You are not praying to Krishna to chant better. Still chant!

You usually chant late at night. Still chant!

So why? Why should you chant despite all the above mentioned obstacles?

Therefore: There is no vow equal to the chanting of the holy name, there is no knowledge superior to it, there is no practice nearer to it, and it bestows the highest fruit.

There is no austerity equal to it, and nothing is as effective or powerful as the holy name. Chanting is the greatest act of piety and the ultimate refuge.

Even the words of the Vedas do not have the power to describe its magnitude.

Chanting is the supreme path to liberation, peace and eternal life.

It is the culmination of devotion, the blissful attitude and attraction of the heart and the best form of remembrance of the Supreme Lord.

The holy name has appeared only for the benefit of the living entities as their master and Lord, their supreme object of worship and their spiritual guide and guru.

~ Srila Bhaktivinod Thakur, Sharanagati (quoted from Adi-Purana)

Anyone who constantly chants the holy name of Lord Krishna even in his sleep can easily realize that the name is a manifestation of Krishna Himself, despite the influence of Kaliyuga.

Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare. Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare.🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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