मानव शरीर में सप्तचक्रों का प्रभाव

1.मूलाधारचक्र :
यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच 4 पंखुरियों वाला यह ‘आधार चक्र’ है। 99.9% लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।

मंत्र : लं

चक्र जगाने की विधि : मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है- यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।

प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है।

2.स्वाधिष्ठानचक्र-

यह वह चक्र है, जो लिंग मूल से 4 अंगुल ऊपर स्थित है जिसकी 6 पंखुरियां हैं। अगर आपकी ऊर्जा इस चक्र पर ही एकत्रित है तो आपके जीवन में आमोद-प्रमोद, मनोरंजन, घूमना-फिरना और मौज-मस्ती करने की प्रधानता रहेगी। यह सब करते हुए ही आपका जीवन कब व्यतीत हो जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा और हाथ फिर भी खाली रह जाएंगे।

मंत्र : वं

कैसे जाग्रत करें : जीवन में मनोरंजन जरूरी है, लेकिन मनोरंजन की आदत नहीं। मनोरंजन भी व्यक्ति की चेतना को बेहोशी में धकेलता है। फिल्म सच्ची नहीं होती लेकिन उससे जुड़कर आप जो अनुभव करते हैं वह आपके बेहोश जीवन जीने का प्रमाण है। नाटक और मनोरंजन सच नहीं होते।

प्रभाव : इसके जाग्रत होने पर क्रूरता, गर्व, आलस्य, प्रमाद, अवज्ञा, अविश्वास आदि दुर्गणों का नाश

होता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि उक्त सारे दुर्गुण समाप्त हों तभी सिद्धियां आपका द्वार खटखटाएंगी।

3.मणिपुरचक्र :

नाभि के मूल में स्थित यह शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र है, जो 10 कमल पंखुरियों से युक्त है। जिस व्यक्ति की चेतना या ऊर्जा यहां एकत्रित है उसे काम करने की धुन-सी रहती है। ऐसे लोगों को कर्मयोगी कहते हैं। ये लोग दुनिया का हर कार्य करने के लिए तैयार रहते हैं।

मंत्र : रं

कैसे जाग्रत करें : आपके कार्य को सकारात्मक आयाम देने के लिए इस चक्र पर ध्यान लगाएंगे। पेट से श्वास लें।
प्रभाव : इसके सक्रिय होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि कषाय-कल्मष दूर हो जाते हैं। यह चक्र मूल रूप से आत्मशक्ति प्रदान करता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए आत्मवान होना जरूरी है। आत्मवान होने के लिए यह अनुभव करना जरूरी है कि आप शरीर नहीं, आत्मा हैं।

आत्मशक्ति, आत्मबल और आत्मसम्मान के साथ जीवन का कोई भी लक्ष्य दुर्लभ नहीं।

4.अनाहतचक्र-

हृदयस्थल में स्थित द्वादश दल कमल की पंखुड़ियों से युक्त द्वादश स्वर्णाक्षरों से सुशोभित चक्र ही अनाहत चक्र है। अगर आपकी ऊर्जा अनाहत में सक्रिय है तो आप एक सृजनशील व्यक्ति होंगे। हर क्षण आप कुछ न कुछ नया रचने की सोचते हैं। आप चित्रकार, कवि, कहानीकार, इंजीनियर आदि हो सकते हैं।

मंत्र : यं

कैसे जाग्रत करें : हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जाग्रत होने लगता है और सुषुम्ना इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है।

प्रभाव : इसके सक्रिय होने पर लिप्सा, कपट, हिंसा, कुतर्क, चिंता, मोह, दंभ, अविवेक और अहंकार समाप्त हो जाते हैं। इस चक्र के जाग्रत होने से व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। इसके जाग्रत होने पर व्यक्ति के समय ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है। व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता है। ऐसा व्यक्ति अत्यंत हितैषी एवं बिना किसी स्वार्थ के मानवता प्रेमी एवं सर्वप्रिय बन जाता है।

5 विशुद्धचक्र-

कंठ में सरस्वती का स्थान है, जहां विशुद्ध चक्र है और जो 16 पंखुरियों वाला है। सामान्य तौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है तो आप अति शक्तिशाली होंगे।

मंत्र : हं

कैसे जाग्रत करें : कंठ में संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।

प्रभाव : इसके जाग्रत होने कर 16 कलाओं और 16 विभूतियों का ज्ञान हो जाता है। इसके जाग्रत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता है वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है।

6.आज्ञाचक्र :

भ्रूमध्य (दोनों आंखों के बीच भृकुटी में) में आज्ञा चक्र है। सामान्यतौर पर जिस व्यक्ति की ऊर्जा यहां ज्यादा सक्रिय है तो ऐसा व्यक्ति बौद्धिक रूप से संपन्न, संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है लेकिन वह सब कुछ जानने के बावजूद मौन रहता है। इसे बौद्धिक सिद्धि कहते हैं।

मंत्र : उ

कैसे जाग्रत करें : भृकुटी के मध्य ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।

प्रभाव : यहां अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं। इस आज्ञा चक्र का जागरण होने से ये सभी शक्तियां जाग पड़ती हैं और व्यक्ति सिद्धपुरुष बन जाता है।

7.सहस्रारचक्र :

सहस्रार की स्थिति मस्तिष्क के मध्य भाग में है अर्थात जहां चोटी रखते हैं। यदि व्यक्ति यम, नियम का पालन करते हुए यहां तक पहुंच गया है तो वह आनंदमय शरीर में स्थित हो गया है। ऐसे व्यक्ति को संसार, संन्यास और सिद्धियों से कोई मतलब नहीं रहता है।

मंत्र : ॐ

कैसे जाग्रत करें : मूलाधार से होते हुए ही सहस्रार तक पहुंचा जा सकता है। लगातार ध्यान करते रहने से यह चक्र जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति परमहंस के पद को प्राप्त कर लेता है।

प्रभाव : शरीर संरचना में इस स्थान पर अनेक महत्वपूर्ण विद्युतीय और जैवीय विद्युत का संग्रह है। यही मोक्ष का द्वार है।

नमो भगवते वासुदेवाय नमः



1. Muladharachakra: This is the first chakra of the body. This is the ‘Base Chakra’ with 4 petals between the anus and the penis. Consciousness of 99.9% people is stuck in this cycle and they die in this cycle. Those whose life is dominated by pleasure, sex and sleep, their energy is concentrated around this chakra.

Mantra: La

Method for awakening the chakra: Man is an animal as long as he is living in this chakra, that’s why this chakra starts to wake up by continuously meditating on this chakra while keeping restraint on enjoyment, sleep and sex. The second rule to awaken it is to remain in witness while following Yama and Niyama.

Effect: On the awakening of this chakra, the sense of bravery, fearlessness and joy awakens within the person. To achieve achievements, it is necessary to have bravery, fearlessness and awareness.

2.Swadhisthana Chakra-

This is the chakra, which is located 4 fingers above the linga root, which has 6 petals. If your energy is concentrated on this chakra only, then there will be priority in your life for having fun, entertainment, traveling and having fun. You won’t even know when your life will be spent doing all this and your hands will still be empty.

Mantra: V

How to wake up: Entertainment is necessary in life, but entertainment is not a habit. Entertainment also pushes a person’s consciousness into unconsciousness. The film is not true but what you feel by connecting with it is the proof of your unconscious life. Drama and entertainment are not real.

Effect: On its awakening, destruction of evils like cruelty, pride, laziness, indifference, disobedience, disbelief etc.

It happens. In order to get achievements, it is necessary that all these bad qualities end, only then achievements will knock at your door.

3. Manipurchakra:

Located at the root of the navel, it is the third chakra called Manipura under the body, which is made up of 10 lotus petals. The person whose consciousness or energy is gathered here, has the passion to work. Such people are called karma yogis. These people are ready to do everything in the world.

Mantra: R

How to wake up: To give a positive dimension to your work, you will concentrate on this chakra. Breathe through the belly. Effect: By its activation, craving, envy, backbiting, shame, fear, hatred, attachment, etc. go away. This chakra basically provides self-power. To get achievements it is necessary to be soulful. To be self-realized, it is necessary to realize that you are not the body, you are the soul.

No goal of life is rare with self-power, self-strength and self-esteem.

4. Anahatchakra-

The Anahata Chakra is the chakra decorated with twelve golden letters consisting of twelve lotus petals located in the center of the heart. If your energy is active in Anahata then you will be a creative person. Every moment you think of creating something new. You can be a painter, poet, story writer, engineer etc.

Mantra: Yam

How to wake up: By exercising restraint and meditation on the heart, this chakra starts to wake up. Especially by meditating on this chakra before sleeping at night, it starts to wake up with practice and Sushumna starts moving upwards by penetrating this chakra.

Effect: When it becomes active, greed, hypocrisy, violence, sophistry, worry, attachment, arrogance, indiscretion and arrogance end. With the awakening of this chakra, there is an awakening of love and compassion within the person. When it is awakened, knowledge automatically starts appearing in the time of the person. The person becomes extremely self-confident, secure, characteristically responsible and emotionally balanced personality. Such a person becomes extremely benevolent and without any selfishness, a lover of humanity and loved by all.

5 Vishuddhachakra-

Saraswati has a place in the throat, where there is a pure chakra and which has 16 petals. In general, if your energy is concentrated around this chakra, you will be very powerful.

mantra: yes

How to wake up: This chakra starts waking up by keeping restraint in the throat and meditating.

Effect: By its awakening one gets the knowledge of 16 arts and 16 personalities. With its awakening, where hunger and thirst can be stopped, the effect of weather can also be stopped.

6. Circle of command:

There is agya chakra in the middle of the brow (in the brow between both the eyes). Generally, the person whose energy is more active here, then such a person becomes intellectually rich, sensitive and sharp minded but he remains silent despite knowing everything. This is called intellectual accomplishment.

Mantra: U

How to wake up: By meditating in the middle of the brow, being in witnessing mood, this chakra starts to wake up.

Effect: Immense powers and achievements reside here. With the awakening of this Agnya Chakra, all these powers get awakened and the person becomes a perfect man.

7. Sahasrarachakra:

The position of Sahasrar is in the middle part of the brain i.e. where the braids are kept. If one has reached here by following Yama, the law, then he is situated in a blissful body. Such a person has no meaning for the world, renunciation and achievements.

Mantra: Om

How to wake up: Sahasrar can be reached only after passing through Muladhar. By continuous meditation this chakra gets awakened and the person attains the position of Paramhans.

Effect: There is a collection of many important electrical and biological electricity at this place in the body structure. This is the door of salvation.

O Lord Vasudeva, I offer my obeisances

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