“संसार में कुछ चीज़ें धन से खरीदी जा सकती हैं, जैसे रोटी कपड़ा मकान मोटर गाड़ी सोना चांदी इत्यादि।”
“परंतु कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं, जो धन से खरीदी नहीं जा सकती। जैसे सभ्यता नम्रता सेवा परोपकार दान दया इत्यादि गुण।”
संसार के लोग, उन लोगों को ‘बड़ा धनवान’ मानते और समझते हैं, जिनके पास रुपया पैसा आदि भौतिक साधन अधिक हों। और वे लोग रुपए पैसे से ऊपर बताई बहुत सी चीज़ें खरीद भी लेते हैं। “परन्तु उतने सुखी नहीं दिखाई देते, जितने सुखी वे होना चाहते हैं।”
वेदों और ऋषियों के अनुसार अधिक धनवान व्यक्ति वह नहीं होता, जो धन से अधिक चीज़ें खरीद सकता हो। “बल्कि ऋषि लोग अधिक धनवान उसे मानते हैं, जो सभ्यता नम्रता सेवा परोपकार दान दया इत्यादि उत्तम गुणों को धारण करता है।” “ऋषि लोग भौतिक धन संपत्ति को अधिक महत्व नहीं देते। क्योंकि भौतिक धन संपत्ति से व्यक्ति उतना सुखी नहीं हो पाता, जितना कि वह सभ्यता नम्रता सेवा परोपकार दान दया इत्यादि उत्तम गुणों से सुखी हो पाता है।”
“मनुष्य का मुख्य लक्ष्य तो सुख प्राप्ति है, धन या भौतिक साधन नहीं।” “अतः जिन सभ्यता नम्रता सेवा परोपकार दान दया इत्यादि उत्तम गुणों से विशेष सुख प्राप्त होता है, उन्हीं का मूल्य अधिक मानना चाहिए, और उन्हें जीवन में अवश्य ही धारण करना चाहिए। ऐसे गुण धन से नहीं खरीदे जा सकते।”
आप भी यदि अपने जीवन में अधिक सुखी होना चाहते हों, “तो धन भले ही कमाएं, इस बात का विरोध नहीं है। परंतु उस से अधिक महत्व उत्तम गुणों को देवें। क्योंकि उन्हीं से आपको अधिक सुख शान्ति सन्तोष और आनन्द मिलेगा, और तभी आपका जीवन सफल होगा।” “वास्तव में धनवान व्यक्ति वही होता है, जिसके पास सभ्यता नम्रता सेवा परोपकार दान दया इत्यादि उत्तम गुण हों।”
—- “स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक,
🙏🚩🙏
“Some things in the world can be bought with money, like bread, cloth, house, motor, car, gold, silver, etc.” “But there are some things that cannot be bought with money. Such as civilization, humility, service, charity, kindness, etc.” The people of the world consider and understand those people as ‘very rich’, who have more material resources like money, money etc. And those people also buy many things mentioned above with money. “But they don’t seem as happy as they want to be.” According to Vedas and Rishis, a more wealthy person is not the one who can buy more things with money. “Rather, the sages consider him more wealthy, who possesses the best qualities of civilization, humility, service, charity, charity, etc.” “Sages do not give much importance to material wealth. Because material wealth does not make a person happy as much as he can be happy with the best qualities of civilization, humility, service, charity, charity etc.” “The main goal of man is to get happiness, not wealth or material means.” “Therefore, those who get special happiness from the best qualities of civilization, humility, service, charity, charity, etc., should be considered more valuable, and they must be imbibed in life. Such qualities cannot be bought with money.” If you also want to be more happy in your life, then even if you earn money, there is no opposition to this. But give more importance to the best qualities. Your life will be successful.” “A really rich person is the one who has the best qualities of civilization, humility, service, charity, kindness etc.” —- “Swami Vivekananda Parivrajak,
🙏🚩🙏