।। नमो राघवाय ।।
जुबतीं भवन झरोखन्हि लागीं।
निरखहिं राम रूप अनुरागीं।।
कहहिं परसपर बचन सप्रीती।
सखि इन्ह कोटि काम छबि जीती।।
सुर नर असुर नाग मुनि माहीं।
सोभा असि कहुँ सुनिअति नाहीं।।
बिष्नु चारि भुज बिधि मुख चारी।
बिकट बेष मुख पंच पुरारी।।
अपर देउ अस कोउ ना आही।
यह छबि सखी पटतरिअ जाही।।
(श्रीरामचरितमानस- १ / २१९ / ४ – ८)
भावार्थ-
युवती स्त्रियाँ घर के झरोखों से लगी हुई प्रेम सहित श्रीरामचन्द्र जी के रूप को देख रही हैं। वे आपस में बड़े प्रेम से बातें कर रही है-
हे सखी ! इन्होंने करोड़ों कामदेवों की छबि को जीत लिया है। देवता, मनुष्य, असुर, नाग और मुनियों में ऐसी शोभा तो कहीं सुनने में भी नहीं आती।
भगवान विष्णु के चार भुजाएँ हैं, ब्रह्माजी के चार मुख हैं, शिवजी का विकट (भयानक) वेष है और उनके पाँच मुँह हैं।
हे सखी ! दूसरा देवता भी कोई ऐसा नहीं है, जिसके साथ इस छबि की उपमा दी जाए।
।। जय भगवान श्रीराम ।।
।। Namo Raghavaya.
The windows of the Jubutin Bhawan were lit. Anuragi in the form of Ram without any hesitation.
Where are we talking to each other, love? My friend, she has done so many things.
Sura Nar Asura Nag Muni Maahin. Sobha asi kahun suniati nahin।।
Vishnu Chari Bhuj Bidhi Mukh Chari. Bikat Besh Mukh Panch Purari.
Give me more, no one comes. This picture is going to be published. (Shri Ramcharitmanas- 1 / 219 / 4 – 8)
gist- Young women are looking at the form of Shri Ramchandra ji with love from the windows of the house. They are talking to each other with great love-
Hey friend! He has won the image of millions of Kamadevas. Such beauty is not even heard of among gods, humans, demons, snakes and sages.
Lord Vishnu has four arms, Lord Brahma has four faces, Lord Shiva has a terrible form and has five faces.
Hey friend! There is no other god with whom this image can be compared.
, Jai Lord Shri Ram.