
राम-लक्ष्मण का जनकपुर निरीक्षण
श्रीरामचरित मानस (बालकाण्ड) दोहा-बिप्रकाजु करि बंधु दोउ मग मुनिबधू उधारि।आए देखन चापमख सुनि हरषीं सब नारि।। दोनों भाई ब्राह्मण विश्वामित्र
श्रीरामचरित मानस (बालकाण्ड) दोहा-बिप्रकाजु करि बंधु दोउ मग मुनिबधू उधारि।आए देखन चापमख सुनि हरषीं सब नारि।। दोनों भाई ब्राह्मण विश्वामित्र
राजा दशरथ के दरबार में जब विश्वामित्र ऋषि ने आकर कहा कि ’महाराज मेरे यज्ञ में राक्षस विघ्न करते हैं,
जीवन में कभी कभी आप गोपाल जी की कृपा से उनके अदभूत भक्तों से मिल जाते है ! ऐसा ही
राम राज बैठें त्रैलोका।हरषित भए गए सब सोका॥बयरु न कर काहू सन कोई।राम प्रताप बिषमता खोई॥ भावार्थ:-श्री रामचंद्रजी के राज्य
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदंब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्।रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिंवन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।। नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीयेसत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।भक्तिं प्रयच्छ
रामायण में वर्णित एक एक घटना अपने आप में मनुष्यों के लिए मार्गदर्शन करती है। यह घटना उस समय की
बंदउँ अवध पुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि॥प्रनवउँ पुर नर नारि बहोरी। ममता जिन्ह पर प्रभुहि न थोरी॥मैं
शिव तो आदिदेव हैं, उनकी पूजा समझ आती है। कृष्ण ने अनगिनत चमत्कार दिखाए, गीताज्ञान दिया, उनकी आराधना ठीक लगती
राम से बड़ा राम का नाम: राम नाम का इन दो अक्षर में ही पूरी रामायण है और पूरा शास्त्र
हनुमान जी जब पर्वत लेकर लौटते है तो भगवान से कहते है.प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था।आपने