रामायण (Ramayan)

रामभक्त हनुमान जी

हनुमानजी रावण की स्वर्ण नगरी लंका को जला कर राख करके चले जाते हैं। और रावण उनका कुछ नहीं कर

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भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।

 श्रीरामचरितमानस- बालकाण्ड ।। छन्द-भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।। लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा

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गंगा पार

प्रभु रामजी सीता लक्ष्मण और निषादराजके साथ गंगा-पार करके रेतीमें खड़े हैं । सकुचा रहे हैं कि केवटको पार उतारनेकी

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श्रीरामचरितमानस- अरण्यकाण्ड ।।(अत्रि मुनि द्वारा श्रीराम स्तुति)

।। छन्द-नमामि भक्त वत्सलं, कृपालु शील कोमलं।भजामि ते पदांबुजं, अकामिनां स्वधामदं।।१।। निकाम श्याम सुन्दरं, भवांबुनाथ मंदरं।प्रफुल्ल कंज लोचनं, मदादि दोष

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