राम भगवान हैं परमात्मा राम को प्रणाम है। राम सत्चित् आनन्द स्वरूप है भगवान राम हमारी आत्मा की पुकार है। राम का चिन्तन मनन कर के ही जान सकते है। भाव से भगवान का सिमरण करने वाले में भगवान प्रेम प्रकट कर देते हैं। राम सगुण साकार है।
तो राम निर्गुण निराकार भी है।
राम हमारे सोये हुए विचारों को
जागृत करने का साधन है
राम मानव जीवन की पुरणता है
राम आत्मा की ज्योति हैं।
राम अन्तर् आत्मा की तृप्ति शान्ति और त्याग है।
धन सुख देगा शान्ति और त्याग
हमे अपनी आत्मा से मिलेगा। आत्मा की शांति हमारे विस्वास और श्रद्धा की जागृति में है। यह सब भाव हमारे, राम एक शब्द के सिमरण में छुपा हुआ है।
भक्त जब भगवान राम की पुकार लगाता है राम राम राम मेरे राम मै तुम्हे देखना चाहता हूं। राम नाम का जप सुबह शाम दोपहर जब भी मन करता है राम राम नाम जपता रहता है
तब भगवान राम भाव भक्त के अन्दर प्रकट हो जाते हैं।
राम चमकता हुआ प्रकाश का पूंज है ।
जहां राम है, वहां भक्ति और वैराग्य,
नतमस्तक हुए खड़े है, राम ग्रथों का ग्रंथ है।
राम राम राम जपते है
तभी हम भगवान राम को जान सकते हैं। भगवान राम दशरथ पुत्र, दसो इन्दीरयो के विजेता,
जिनके लिए सुख और दुख सम है। हम जिन्हें भगवान मानते हैं।,
वे सर्वशक्तिमान सत्य प्रतीज्ञ, त्याग की प्रति मुर्ति है।
दया का बहता स्त्रोत है।
जिनकी कृपादृष्टि से, सृष्टी का विधान बदल जाया करते हैं।
ऐसे दयानिधि को मै प्रणाम करती हूं ।
भगवान राम कहते हैं, कि मुझे भाव से, सुमिरन से, जाना जा सकता है।
जय श्री राम
अनीता गर्ग