हे कृष्ण,
तुम प्रेम का अध्याय हो,
हर प्रीत का पर्याय हो,
हर गीत का अभिप्राय हो
अन्याय में तुम न्याय हो
हर प्राण का तुम अंश हो
तुम हर कंस का विध्वंस हो
ज्ञानी भी हो सर्वज्ञ हो
हर अर्चना में यज्ञ हो
तुम बात हो व्यवहार हो
हर जन का तुम उद्धार हो
हर दुष्ट का संहार हो
तुम ही सकल संसार हो
शिशु रूप में तुम उद्दंड हो
हर मित्र का घमंड हो
स्त्रीत्व की रक्षा को तुम
हर शिशुपाल का दंड हो
तुमसा सखा न सारथी
जन जन उतारे आरती
हर युग में तुम जन्मों यहीं
हो धन्य माता ‘भारती…!!
श्रीं कृष्णं कृष्णाय नम :
Oh Krishna,
You are the chapter of love, Be the synonym of every love, every song has a meaning you are justice in injustice
you are a part of every soul you are the destruction of every kansa be knowledgeable and omniscient There should be Yagya in every Archana.
You are the talk, you are the behavior. you are everyone’s salvation May every evil be destroyed you are the whole world
you are naughty as a child every friend should be proud you to protect femininity every shishupal should be punished
your friend saathi Everyone performed Aarti. You are born here in every era Blessed be Mother Bharati…!!
Sri Krishna Krishnaaya Namah :