एक वृद्ध ऋषि से किसी ने पूछा :”संसार की वस्तुओं में सबसे बड़ी वस्तु क्या है?”
ऋषि ने कहा :”आकाश। क्योंकि जो भी है, आकाश में है और स्वयं आकाश किसी में नहीं है।”
उसने पूछा :”और श्रेष्ठतम?”
ऋषि ने कहा :शील। क्योंकि शील पर सब कुछ न्यौछावर है, लेकिन शील किसी के लिए भी नहीं खोया जा सकता है। “
उसने पूछा :”और सबसे गतिवान?”
ऋषि ने कहा :”विचार। “
उसने पूछा :”और सबसे सरल?”
ऋषि ने कहा :”उपदेश।”
उसने पूछा :”और सबसे कठिन?”
ऋषि ने कहा :” आत्मज्ञान।”
निश्चय ही स्वयं को जानना सर्वाधिक कठिन प्रतीत होता है, क्योंकि उसे जानने के लिए शेष सब जानना छोड़ना पड़ता है। ज्ञान से शून्य हुए बिना स्वयं का ज्ञान नहीं हो सकता है।
अज्ञान आत्मज्ञान में बाधा है। ज्ञान भी आत्मज्ञान में बाधा है।
लेकिन एक ऐसी अवस्था भी है, जब न ज्ञान है, न अज्ञान है। उस अंतराल में ही स्वयं का ज्ञान आविर्भूत होता है।
मैं उस अवस्था को ही समाधि कहता हूं।
🌼ओशो🌼
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सबसे श्रेष्ठ क्या है
- Tags: संसार संसद
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