गोवर्धन से मानसी गंगा के अभी के सुंदर दर्शन। मानसी गंगा गोवर्धन गाँव के बीच में है। परिक्रमा करने में दायीं और पड़ती है और पूंछरी से लौटने पर भी बायीं ओर इसके दर्शन होते हैं। एक बार श्री नन्द-यशोदा एवं सभी ब्रजवासी गंगा स्नान का विचार बनाकर गंगा जी की तरफ चलने लगे। चलते-चलते जब वे गोवर्धन पहुँचे तो वहाँ सन्ध्या हो गयी। अत: रात्रि व्यतीत करने हेतु श्री नन्द महाराज ने श्री गोवर्धन में एक मनोरम स्थान सुनिश्चित किया। यहाँ पर श्री कृष्ण के मन में विचार आया कि ब्रजधाम में ही सभी-तीर्थों का वास है, परन्तु ब्रजवासी गण इसकी महान् महिमा से अनभिज्ञ हैं। इसलिये मुझे ही इसका कोई समाधान निकालना होगा। श्रीकृष्ण जी के मन में ऐसा विचार आते ही श्री गंगा जी मानसी रूप में गिरिराज जी की तलहटी में प्रकट हुई। प्रात:काल जब समस्त ब्रजवासियों ने गिरिराज तलहटी में श्री गंगा जी को देखा तो वे विस्मित होकर एक दूसरे से वार्तालाप करने लगे। सभी को विस्मित देख अन्तर्यामी श्रीकृष्ण बोले कि इस पावन ब्रजभूमि की सेवा हेतु तो तीनों लोकों के सभी-तीर्थ यहाँ आकर विराजते हैं। परन्तु फिर भी आप लोग ब्रज छोड़कर गंगा स्नान हेतु जा रहे हैं। इसी कारण माता गंगा आपके सम्मुख आविर्भूत हुई हैं। अत: आप लोग शीघ्र ही इस पवित्र गंगा जल में स्नानादि कार्य सम्पन्न करें। श्री नन्द बाबा ने श्रीकृष्ण की इस बात को सुनकर सब गोपों के साथ इसमें स्नान किया। रात्रि को सब ने दीपावली का दान दिया। तभी से आज तक भी दीपावली के दिन यहाँ असंख्य दीपों की रोशनी की जाती है। श्रीकृष्ण के मन से आविर्भूत होने के कारण यहाँ गंगा जी का नाम मानसी गंगा पड़ा। कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को श्री गंगा जी यहाँ प्रकट हुईं थीं। आज भी इस तिथि को स्मरण करते हुए हज़ारों भक्त गण यहाँ स्नान- पूजा-अर्चना- दीप दानादि करते हैं। भाग्यवान भक्तों को कभी-कभी इसमें दूध की धारा का दर्शन होता है।
श्री भक्ति विलास में कहा गया है- गंगे दुग्धमये देवी! भगवन्मानसोदवे। भगवान श्रीकृष्ण के मन से आविर्भूत होने वाली दुग्धमयी गंगा देवी! आपको मैं नमस्कार करता हूँ। इस मानसी गंगा का प्रसिद्ध गंगा नदी से सर्वाधिक माहात्म्य है। वह श्री भगवान के चरणों से उत्पन्न हुई है और इसकी उत्पत्ति श्री भगवान के मन से है। इसमें श्री राधाकृष्ण सखियों के साथ यहाँ नौका-विहार की लीला करते हैं। इस मानसी गंगा में श्री रघुनाथ दास गोस्वामीपाद ने श्री राधाकृष्ण की नौंका-विलास लीला का दर्शन किया था। मानसी गंगा में एक बार स्नान करने से जो फल प्राप्त होता है वह हज़ारों अश्वमेध यज्ञों तथा सैकड़ों राजसूय यज्ञों के करने से प्राप्त नहीं होता हैं। मानसी गंगा के तटों को पत्थरों से सीढ़ियों सहित बनवाने का श्रेय जयपुर के राजा श्री मानसिंह के पिता राजा भगवानदास को है। मानसी गंगा के चारों और दर्शनीय स्थानों के दर्शन करते हुए परिक्रमा लगाते हैं।
Beautiful view of Mansi Ganga from Govardhan. Mansi Ganga is in the middle of Govardhan village. While doing Parikrama, it is seen on the right side and even after returning from Poonchari, it is seen on the left side. Once Shri Nand-Yashoda and all the people of Braj decided to take bath in Ganga and started walking towards Ganga ji. While walking, when they reached Govardhan, it was evening there. Therefore, Shri Nand Maharaj ensured a picturesque place in Shri Govardhan to spend the night. Here the thought came to Shri Krishna’s mind that all the places of pilgrimage reside in Brajdham, but the people of Braj are unaware of its great glory. Therefore, I will have to find a solution for this. As soon as such a thought came to Shri Krishna ji’s mind, Shri Ganga ji appeared in mental form at the foothills of Giriraj ji. In the morning, when all the people of Braj saw Shri Ganga ji in the Giriraj foothills, they were astonished and started talking to each other. Seeing everyone astonished, Antaryami Shri Krishna said that all the pilgrims of the three worlds come here to serve this holy land of Brajbhoomi. But still you people are leaving Braj and going to bathe in the Ganga. That is why Mother Ganga has appeared before you. Therefore, you people should quickly complete the work of bathing in this holy Ganga water. After hearing these words of Shri Krishna, Shri Nand Baba took bath in it along with all the Gopas. Everyone gave donations for Diwali in the night. From then till today, innumerable lamps are lit here on the day of Diwali. Because of its origin from the mind of Shri Krishna, Ganga was named Mansi Ganga here. Shri Ganga ji appeared here on the Amavasya date of Kartik month. Even today, remembering this date, thousands of devotees take bath, worship, offer prayers and donate lamps here. Lucky devotees sometimes see a stream of milk in it.
It is said in Sri Bhakti Vilas – Ganga is the milky goddess! Lord Manasodave. The milky Ganga Devi who emerged from the mind of Lord Krishna! I salute you. This Mansi Ganga has the greatest importance with the famous river Ganga. It has originated from the feet of Sri Bhagavan and its origin is from the mind of Sri Bhagavan. In this, Shri Radhakrishna enjoys boating with his friends. In this Mansi Ganga, Shri Raghunath Das Goswamipad had seen the Naunka-Vilas Leela of Shri Radhakrishna. The result that is obtained by taking bath once in Mansi Ganga is not obtained by performing thousands of Ashwamedha Yagyas and hundreds of Rajasuya Yagyas. The credit for building the banks of Mansi Ganga with stones along with stairs goes to Raja Bhagwandas, father of Raja Shri Mansingh of Jaipur. Mansi circumambulate around Ganga visiting the scenic places.