सनातन हिंदू समाज तथा प्रज्वलित दीपक
अग्नि के आविष्कार के पश्चात् संपूर्ण मानव जाति ने अंधकार से प्रकाश तक पहुंचने के वाहक के रूप में दीपक को स्वीकार किया है। यही कारण है कि हम हिंदुओं का कोई भी धार्मिक-अनुष्ठान दीपक जलाए बिना पूरा नहीं होता है।
दीपावली आलोक का पर्व है , जो वैदिक ऋषियों की इस कामना की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है –
” जीवा ज्योतिरशीमहि ” ( ऋग्वेद )
अर्थात् हम प्रतिदिन जीवन जीते हुए ज्योति की उपलब्धि कर उससे उल्लसित होते रहें।
मानव की अपूर्णता से पूर्णता की ओर उर्ध्वमुखी यात्रा ही ” तमसो मा ज्योतिर्गमय ” की मंत्र-प्रार्थना सृजित करती है।
अथर्ववेद में उल्लेख है –
” आ रोह तमसो ज्योति ” अर्थात् अंधकार (अज्ञान) से निकलकर प्रकाश (ज्ञान) की ओर बढ़े।
महर्षि वेदव्यास जी ने वन-यात्रा के समय युधिष्ठिर को आत्मिक दीपक प्रज्वलित करने को कहते हैं –
युधिष्ठिर ! जब भी तुम्हारे जीवन में दु:खों , कष्टों का अंधकार आए , तो तुम यत्न से दीपक जलाना । ऐसा दीपक , जिसका आधार सत्य हो , जिसमें तेल तप यानी साधना का हो , जिसकी बाती दया की हो और शिखा से विकसित लौ क्षमा की हो।
भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं –
अर्थ – उनके (भक्तों के) ऊपर अनुग्रह करने के लिए उनके अंतःकरण में स्थित हुआ मैं स्वयं ही उनके अज्ञानजनित अंधकार को प्रकाशमय तत्वज्ञानरूप दीपक के द्वारा नष्ट कर देता हूं।
वेदों में कहा गया है – ” आत्मदीपो भव ” अर्थात् अपनी आत्मा को ही दीपक बनाओ। इसे ही आधार बनाकर गौतम बुद्ध ने ” अप्प दीपो भव ” का संदेश दिया था।
विकारों को जला कर ही दीपक प्रज्वलित होते हैं। भीतर झांकना ही दीपक जलाना है। भीतर जीतनी गहराई से झांकोगे तभी उजाला होगा। बाहर की रोशनी बाहर ही रह जाएगी।
रामचरितमानस में तुलसीदास जी मणिदीप की चर्चा करते हैं –
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुं जौं चाहसि उजिआर ।।
अर्थ – तुलसीदास जी कहते हैं कि यदि तू भीतर-बाहर दोनों ओर उजाला (आध्यात्मिक एवं भौतिक सुख) चाहता है , तो मुखरूपी द्वार की जीभरूपी देहरी पर रामनाम रूपी मणि-दीप को रख।
हमारे लोक जीवन में दीपक का विशेष महत्व रहा है।
घरों में महिलाएं पूजा का दीप जलाती हैं , जिसे आरती दीप / अर्चना दीप कहा जाता है।
मंदिरों में भगवान की प्रतिमाओं के समक्ष रखा हुआ प्रज्वलित दीपक ” गर्भगृह दीपक ” के नाम से सर्वविदित है।
भूले-भटकों को रास्ता दिखाने के लिए इमारत / मकान के छत पर रखा जाने वाला दीपक ” आकाशदीप ” कहलाता था।
तुलसी पौधे के नीचे सुबह-शाम घरों में महिलाएं जो दीपक रखती हैं , वह ” वृंदा-दीपक ” कहलाती है। दीपावली के अवसर पर जलने वाले दीपकों को ” दीप-लक्ष्मी ” कहते हैं।
दीपक की महत्ता इस बात से प्रकट होती है कि संगीत में एक विशेष राग – ” दीपक राग ” है। कहते हैं कि दीपक राग जब संगीतकार गाते हैं , तो दीपक स्वयं जल उठते हैं।
११ या २१ दीपों को प्रज्वलित कर दीपावली की स्तुति निम्नलिखित मंत्र से की जाती है –
त्वं ज्योतिस्तवं रविश्चन्द्रो विद्युदग्निश्च तारका:।
सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः।।
पाशविकता को दूर कर मानवता के संरक्षण व पोषण के लिए संपूर्ण विश्व में श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी धर्म एवं दया के दीपक को प्रज्वलित करना चाहते हैं –
धर्म का दीपक , दया का दीप ,
कब जलेगा , कब जलेगा , विश्व में भगवान ?
कब सुकोमल ज्योति से अभिषिक्त हो
सरस होंगे जली – सूखी रसा के प्राण ?
इस आलेख का समापन गीत की इस पंक्ति से करता हूं –
।। चलो जलाएं दीप वहां , जहां अभी भी अंधेरा है ।।
शुभ दीपावली के अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
Sanatan Hindu Samaj and lit lamp After the invention of fire, the entire human race has accepted the lamp as a medium to reach from darkness to light. This is the reason why no religious ritual of us Hindus is completed without lighting a lamp.
Diwali is the festival of light, which is a direct expression of the wish of the Vedic sages – “Jeeva Jyotirashimahi” (Rigveda) That is, we should keep achieving the light while living life every day and remain happy with it. It is man’s upward journey from imperfection to perfection that creates the mantra-prayer of “Tamaso Ma Jyotirgamaya”. It is mentioned in Atharvaveda – “Aa roh tamaso jyoti” i.e. come out of darkness (ignorance) and move towards light (knowledge).
Maharishi Ved Vyas ji asks Yudhishthir to light the spiritual lamp during his forest journey – Yudhisthira ! Whenever darkness of sorrows and troubles comes in your life, you should try hard to light the lamp. Such a lamp, whose base is truth, in which the oil is of penance i.e. sadhana, whose wick is of mercy and the flame growing from its peak is of forgiveness.
Lord Shri Krishna says in Geeta – Meaning – In order to show favor to them (the devotees), I, situated in their hearts, myself destroy their darkness born of ignorance with the lamp of light and spiritual knowledge. It is said in the Vedas – “Aatmadeepo Bhava” i.e. make your soul a lamp. Based on this, Gautam Buddha had given the message of “Appa Deepo Bhava”.
Lamps light up only by burning away the vices. To look within is to light a lamp. Only if you look deeply within you will there be light. The outside light will remain outside.
Tulsidas ji discusses Manideep in Ramcharitmanas – Ram Naam Manideep Dharu Jih Dehri Door. Tulsi goes in and out whenever I want light. Meaning – Tulsidas ji says that if you want light (spiritual and material happiness) both inside and outside, then place a gem-lamp in the form of Ram on the tongue-like threshold of the mouth-like door.
Lamp has special importance in our public life. Women in homes light a puja lamp, which is called Aarti lamp/Archana lamp. The lit lamp kept in front of the idols of God in temples is well known by the name of “Garbhagriha Deepak”. The lamp kept on the roof of a building/house to show the way to the lost was called “Akashdeep”. The lamp that women keep in their homes under the Tulsi plant in the morning and evening is called “Vrinda-Deepak”. The lamps lit on the occasion of Diwali are called “Deep-Lakshmi”. The importance of Deepak is evident from the fact that there is a special raga in music – “Deepak Raga”. It is said that when the musician sings the Deepak Raga, the lamps themselves light up.
11 or 21 lamps are lit and Diwali is praised with the following mantra – You are the light, the Sun, the Moon, the lightning, the fire and the stars. I offer my obeisances to the light of all lights.
Shri Ramdhari Singh ‘Dinkar’ ji wants to light the lamp of religion and kindness all over the world for the protection and nourishment of humanity by eradicating bestiality – Lamp of religion, lamp of mercy, When will it burn, when will it burn, God in the world? when you are anointed with gentle light Will the life of burnt and dry juice be juicy?
I conclude this article with this line from the song – , Let’s light a lamp where there is still darkness. Best wishes to you on the occasion of auspicious Diwali.