अल्बर्ट आइंस्टीन की कथा

(1) अल्बर्ट आइंस्टीन की पत्नी अक्सर उन्हें सलाह देती थीं कि वह काम पर जाते समय अधिक प्रोफेशनल तरीके से कपड़े पहनें। आइंस्टीन हमेशा कहते, “क्यों पहनूं? वहाँ सब मुझे जानते हैं।” लेकिन जब उन्हें पहली बार एक बड़े सम्मेलन में जाना था, तो उनकी पत्नी ने उनसे थोड़ा सज-धजकर जाने का अनुरोध किया। इस पर आइंस्टीन बोले, “क्यों पहनूं? वहाँ तो मुझे कोई नहीं जानता!”

(3) आइंस्टीन से अक्सर सापेक्षता के सिद्धांत को समझाने के लिए कहा जाता था। एक बार उन्होंने समझाया, “अपना हाथ एक गर्म चूल्हे पर एक मिनट के लिए रखो, तो वह एक घंटे जैसा महसूस होगा। एक खूबसूरत लड़की के साथ एक घंटे बैठो, तो वह एक मिनट जैसा लगेगा। यही है सापेक्षता!”

(4) जब अल्बर्ट आइंस्टीन प्रिंसटन विश्वविद्यालय में काम कर रहे थे, तो एक दिन घर जाते समय उन्हें अपना घर का पता भूल गया। टैक्सी ड्राइवर ने उन्हें पहचाना नहीं। आइंस्टीन ने ड्राइवर से पूछा कि क्या वह आइंस्टीन का घर जानता है। ड्राइवर ने कहा, “आइंस्टीन का पता कौन नहीं जानता? प्रिंसटन में हर कोई जानता है। क्या आप उनसे मिलना चाहते हैं?” आइंस्टीन ने उत्तर दिया, “मैं ही आइंस्टीन हूं। मैं अपना घर का पता भूल गया हूँ, क्या आप मुझे वहाँ पहुँचा सकते हैं?” ड्राइवर ने उन्हें उनके घर पहुँचा दिया और उनसे किराया भी नहीं लिया।

(5) एक बार आइंस्टीन प्रिंसटन से ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। जब टिकट चेक करने वाला कंडक्टर उनके पास आया, तो आइंस्टीन ने अपनी जैकेट की जेब में हाथ डाला, लेकिन टिकट नहीं मिला। फिर उन्होंने अपनी पैंट की जेबें देखीं, लेकिन वहाँ भी नहीं था। इसके बाद उन्होंने अपने ब्रीफकेस में देखा, लेकिन टिकट नहीं मिला। फिर उन्होंने अपनी सीट के पास देखा, लेकिन फिर भी टिकट नहीं मिला।

कंडक्टर ने कहा, “डॉ. आइंस्टीन, हम जानते हैं कि आप कौन हैं। मुझे यकीन है कि आपने टिकट खरीदा है। चिंता मत कीजिए।” आइंस्टीन ने प्रशंसा में सिर हिला दिया। कंडक्टर आगे बढ़ गया। जब उसने दूसरी तरफ देखा, तो उसने देखा कि महान वैज्ञानिक नीचे झुककर सीट के नीचे टिकट खोज रहे थे।

कंडक्टर तुरंत लौट आया और कहा, “डॉ. आइंस्टीन, चिंता मत कीजिए। मैं जानता हूँ कि आप कौन हैं। आपको टिकट की आवश्यकता नहीं है। मुझे यकीन है कि आपने टिकट खरीदा है।” आइंस्टीन ने जवाब दिया, “युवा आदमी, मैं भी जानता हूँ कि मैं कौन हूँ। पर मैं ये नहीं जानता कि मैं कहाँ जा रहा हूँ।”

(6) जब आइंस्टीन की मुलाकात चार्ली चैपलिन से हुई:

आइंस्टीन ने कहा,

“आपकी कला में जो मुझे सबसे अधिक प्रभावित करता है, वह उसकी सार्वभौमिकता है। आप एक शब्द नहीं कहते, फिर भी दुनिया आपको समझती है।”

इस पर चार्ली चैपलिन ने उत्तर दिया,
“यह सच है, लेकिन आपकी प्रसिद्धि तो इससे भी बड़ी है। दुनिया आपकी प्रशंसा करती है, जबकि कोई आपको समझता नहीं।”
संकलन : केवी सर
साभार :सोशल मीडिया



(1) Albert Einstein’s wife often advised him to dress more professionally when going to work. Einstein always said, “Why should I wear it? Everyone there knows me.” But when he had to go to a big conference for the first time, his wife requested him to dress up a bit. On this Einstein said, “Why should I wear it? No one knows me there!”

(3) Einstein was often asked to explain the theory of relativity. He once explained, “Put your hand on a hot stove for a minute, and it will feel like an hour. Sit with a beautiful girl for an hour, and it will feel like a minute. That’s relativity!”

(4) When Albert Einstein was working at Princeton University, one day while going home he forgot his home address. The taxi driver did not recognize him. Einstein asked the driver if he knew Einstein’s house. The driver said, “Who doesn’t know Einstein’s address? Everyone at Princeton knows. Do you want to meet him?” Einstein replied, “I am Einstein. I have forgotten my home address, can you take me there?” The driver took him to his home and did not even charge him the fare.

(5) Once Einstein was traveling by train from Princeton. When the conductor checking tickets came to him, Einstein put his hand in his jacket pocket, but could not find the ticket. Then he checked the pockets of his pants, but it was not there either. After this he looked in his briefcase, but did not find the ticket. Then he looked near his seat, but still did not find the ticket.

The conductor said, “Dr. Einstein, we know who you are. I’m sure you bought a ticket. Don’t worry.” Einstein nodded his head in appreciation. The conductor moved forward. When he looked to the other side, he saw that the great scientist was bending down and searching for the ticket under the seat.

The conductor immediately returned and said, “Dr. Einstein, don’t worry. I know who you are. You don’t need a ticket. I’m sure you’ve bought one.” Einstein replied, “Young man, I too know who I am. But I do not know where I am going.”

(6) When Einstein met Charlie Chaplin: Einstein said,

“What strikes me most about your art is its universality. You don’t say a word, yet the world understands you.”

To this Charlie Chaplin replied, “That’s true, but your fame is even greater. The world admires you, even though no one understands you.” Compilation: KV Sir Courtesy: Social Media

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