जिस नैया की झुंझुनुवाली खुद ही खेवनहार
वो नैया पार ही समझो , बिना पतवार ही समझो,
तूफां में कश्ती चाहे हिचकोले खाये,
भंवर के थपेड़े चाहे जितना डराएं,
जग की खेवनहारा थामे खुद जिसकी पतवार,
वो नैया पार ही समझो , बिना पतवार ही समझो,
मांझी बनेगी जब ये मैया तुम्हारा ,
मझधार में भी तुमको मिलेगा किनारा,
जिसकी रक्षक बनकर बैठी मैया सिंह असवार,
वो नैया पार ही समझो , बिना पतवार ही समझो,
हर्ष तू जीवन नैया इसको थमा दे,
इसके भरोसे प्यारे मौज तू उड़ा ले,
हाथ पकड़ ले जब ये तेरा फिर किसकी दरकार,
वो नैया पार ही समझो , बिना पतवार ही समझो,
जिस नैया की झुंझुनुवाली खुद ही खेवनहार
वो नैया पार ही समझो , बिना पतवार ही समझो |
The boat of which Jhunjhunuwali itself is the cashier
Understand that boat only, understand without rudder,
Whether the kayak is hesitating in the storm,
No matter how frightening the winds of the whirlpool,
Whose rudder holds the rudder of the world,
Understand that boat only, understand without rudder,
Manjhi will become when this love is yours,
You will get the edge even in the middle,
Maiya Singh Aswar, who sat as a protector,
Understand that boat only, understand without rudder,
Harsh you give life to it,
Trust this dear, you will have fun,
Take hold of your hand when this is your need again,
Understand that boat only, understand without rudder,
The boat of which Jhunjhunuwali itself is the cashier
Understand that boat only, understand without rudder.