भंगियाँ में डूभ गये हो सुध विसराओ भोला जी,
मैं थक गई भंगियाँ पीसत हाथ दुखायो भोला जी,
भंगियाँ में डूभ गये हो सुध विसराओ भोला जी,
मेवा मिश्री आप के मन को जाने क्यों नहीं भाते,
कंध मूल और फल से क्यों नहीं अपना भूख मिटाते,
क्यों बेल की पत्तियां तेरे मन को भायो भोला जी,
भंगियाँ में डूभ गये हो सुध विसराओ भोला जी,
देवो में तुम महादेव हो फिर क्यों ऐसा करते,
नशा नष्ट कर देता सब कुछ भोले क्यों नहीं डरते,
अब पूजा विनती करती मान भी जाओ भोला जी,
भंगियाँ में डूभ गये हो सुध विसराओ भोला जी,
Sudh Visrao Bhola ji, you have drowned in the bhangis.
I am tired bhangiyas grind hath sadhayo bhola ji,
Sudh Visrao Bhola ji, you have drowned in the bhangis.
Why don’t dry fruits like sugar candy know your mind?
Why don’t you satisfy your hunger with root and fruit?
Why do you love the leaves of the vine, Bhola ji,
Sudh Visrao Bhola ji, you have drowned in the bhangis.
You are Mahadev among the gods, then why would you do this?
Intoxication destroys everything. Why are the innocent not afraid?
Now Bhola ji is praying for worship.
Sudh Visrao Bhola ji, you have drowned in the bhangis.