हे शिव शंकर दीं दयालु मेरे भोले,
भक्त खड़ा तेरे द्वार पे क्यों अखियां न खोले,
बड़ी दूर से आया मैं कावड़ लाया,
तू क्यों न मुख से बोले,
भक्त खड़ा तेरे द्वार पे क्यों अखियां न खोले,
बम बम भोले जय शिव बोले
है नाम तुम्हरा जग में अमर तुम अजर अमर अविनाशी हो,
कण कण में तेरा वास रहे तुम अमरनाथ तुम काशी हो,
ना देर करो मेरी लाज रखो मेरी डगमग नाइयाँ डोले,
भक्त खड़ा तेरे द्वार पे क्यों अखियां न खोले,
हे डमरू डर तू पिये ज़हर विषपान किया,
तूने अपनी जटा में गंगे माँ को धार लिया,
मैं दास तुम्हारा बस तेरा सहारा तूने कितने भाग है खोले,
भक्त खड़ा तेरे द्वार पे क्यों अखियां न खोले,
बस्मा सुर को तूने भोले बिन सोचे ही वर दे डाला,
रावण को लंका दान दिए खुद पहन लिए है मृग शाळा,
मैं कब से पुकारू तेरे चरण पखारू गिरी हर हर बम बम भोले,
भक्त खड़ा तेरे द्वार पे क्यों अखियां न खोले,
O Shiv Shankar, the merciful my innocent,
Why doesn’t the devotee stand at your door and open its eyes?
I came from a long distance and brought Kavad,
Why don’t you say with your mouth,
Why doesn’t the devotee stand at your door and open its eyes?
Bam Bam Bhole Jai Shiv said
Your name is immortal in the world, you are immortal, immortal, indestructible.
May you reside in every particle, you are Amarnath, you are Kashi,
Do not delay, keep my shame, my staggering barbers wobble,
Why doesn’t the devotee stand at your door and open its eyes?
O damaru, fear you drank poison, drank poison,
You sharpened the Ganges mother in your hair,
I am your servant, just your support, how many parts have you opened,
Why doesn’t the devotee stand at your door and open its eyes?
You gave a boon to Basma Sur without even thinking about it.
Donated Lanka to Ravana, he himself has worn an antelope,
When will I call your feet, Pakharu Giri Har Har Bam Bum Bhole,
Why doesn’t the devotee stand at your door and open its eyes?