हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद
राजा जनक ने, अष्टावक्र जी से तीन प्रश्न किए
वैराग्य केसे हो?
ज्ञान की प्राप्ति केसे हो?
और
मुक्ति केसे हो?
इन तीनों प्रश्न में
सारा अध्यात्मिक ज्ञान छुपा है।
अष्टावक्र जी ने
राजा जनक से कहा कि
हे राजन इन विषयों को विष के समान त्याग दें
विषय के साथ जो तेरा लगाव है
इन से जो मोह है।
उसका त्याग कर
बिना विषयों के त्याग किए तुझे वैराग्य नहीं हो सकता
इस एक वाक्य में ही सारा वैराग्य हो जाता है।
दूसरा
ज्ञान प्राप्त केसे हो
हे राजन
तू न आकाश है,न जल है न अग्नि है न वायू है न पृथ्वी
ये सब तुझे नहीं जानते
तू इनको जानता है।
तू इन सबको जानने वाला साक्षी है।
न तू शरीर है,न नाम हैं,न रूप है,न आकार न आकृति
तू इनसे परे आत्मा है।
इतना जानना ही ये ज्ञान है।
तीसरा
मुक्ति किसे कहते हैं।
जब तू अपने आपको ये जान लेगा कि
मैं
नाम रूप देह से परे, शांत स्वरूप , प्रकृति से परे, मुझसे ये जगत,शरीर प्रकाशित हो रहे हैं।
इस संसार में मैं अकेला आया हूं मेरा किसी से कोई सम्बन्ध नहीं
मैं इस जगत का प्रकाशक हूं
इस वक्त में अपने शरीर का जगत का त्याग करके
मैं केवल अपने आपको जानता हूं ।
जिसे मैं जान रहा हूं वो स्वयं मैं ही हूं
मैं ही अपने आपको देख रहा हूं
मैं ही वो परमात्मा हूं।
ये जानना,बोध करना जीते जी मुक्ति है।
Hari Om Tat Sat Jai Sachchidanand
King Janak asked three questions to Ashtavakra
How are you having disinterest?
How to get knowledge?
And
How are you free?
in all three questions
All spiritual knowledge is hidden.
Ashtavakra ji
told King Janak that
O King, give up these subjects like poison.
the subject you are passionate about
The attachment to them.
giving up on
You can’t have disinterest without sacrificing subjects
In this one sentence, the whole disinterest is done.
Second
how to get knowledge
Hey Rajan
You are neither sky, nor water, nor fire, nor air, nor earth
they don’t know you
You know them.
You are the knowing witness of all these.
You are neither body, nor name, nor form, nor shape, nor form
You are a soul beyond them.
To know this much is knowledge.
third
What is called liberation?
when you know yourself
I
Beyond name and form body, calm form, beyond nature, this world, body is being illuminated by me.
I have come alone in this world, I have no relation with anyone
i am the luminary of the world
In this time by leaving the world of my body
I only know myself.
I’m the one I know
i’m looking at myself
I am that Supreme Soul.
Knowing and understanding this is liberation while alive.