अजन्म सदा जहाँ जन्मलियो,
भवसिन्धु परे नहीं जीव बिचारो।
चोर बनो जग को रचतावन,
रक्षक हूँ जु सँहारन हारो॥
निसकर्म सुनों श्रुति सो जिहि कों,
ब्रजगोपिनसों अनुराग निहारो।
बाँकेबिहारी विराजै ‘छबीले’ सु,
श्री बनराज है धाम हमारो॥
वेदों ने जिन श्री कृष्ण को सदा अजन्मा कहा है, उन श्री कृष्ण का जहां प्राकट्य हुआ, वहाँ का वास करने से जीव कभी भवसिंधु में नहीं फंसता।
संसार को रचने वाले श्री कृष्ण ने ब्रज में चोर बनकर माखन चोरी जैसी लीलाएँ कीं। वे सबके रक्षक हैं, जो दुष्टों का संहार करते हैं।
श्रुतियाँ जिन्हें निष्काम कहती हैं, वे श्री कृष्ण ब्रज में गोपियों के संग प्रेम में बंधे रहते हैं।
श्री छबीले वल्लभ जी कहते हैं कि जहाँ श्री बाँकेबिहारी सदा विराजते हैं, ऐसा दिव्य धाम श्री वृंदावन ही हमारा निज धाम है।
The unborn are always born wherever you are, There is no beyond Bhavasindhu, think living beings. Become a thief, the creator of the world, I am the protector who is defeated. Listen to the Shruti without any action, Look at Brajgopinson Anurag. Banke Bihari Virajai ‘Chhabile’ Su, Shri Banraj is our abode.
By residing in the place where Shri Krishna, whom the Vedas have always called unborn, appeared, the soul never gets trapped in Bhavasindhu.
Shri Krishna, the creator of the world, disguised himself as a thief in Braj and performed acts like stealing butter. He is the protector of all, who destroys the wicked.
Shri Krishna, whom the scriptures call selfless, remains in love with the Gopis in Braj.
Shri Chhabile Vallabh ji says that Shri Vrindavan, the divine abode where Shri Banke Bihari always resides, is our personal abode.