भगवान्  हजार आंखों से मुझे देख रहा है।

परम पिता परमात्मा को प्रणाम है परम पिता परमात्मा ही गुरु है। मेरा प्रभु ही मेरा सब कुछ है।साधक परमात्मा की विनती करता है ध्यान लगाता है। सतगुरु का नाम जप करता है। साधक भगवान् नाथ का बन जाना चाहता है। मै मेरे परमेशवर स्वामी भगवान् के दर्शन कर लू। साधक के हृदय की यही प्रार्थना होती है परम पिता परमात्मा के दर्शन हो जाए। एक दिन साधक को ऐसा लगता है कि परमात्मा देख रहा है।
मेरे भगवान को मैं देख पाउं या नही लेकिन मेरा भगवान् मुझे देखते देखते मुझमें समा गया है। भगवान् मुझे देखते हुए भक्ति प्रेम श्रद्धा विश्वास और विनय का रूप धारण करके मुझमें समाया हुआ है। परम पिता परमात्मा ध्वनि रुप में मुझ में वीणा वादन कर रहा है।साधक कहता है मेरा प्रभु परमेशवर मेरी साधना बन कर के मुझ में समा गया है।भगवान की ज्योति मेरे हृदय में दिपत होकर मेरे रोम रोम को उजागर कर रही है।मेरा भगवान् मुझे हजार आंखों से देख रहा है। भगवान् हर पल मेरे साथ है।
अनीता गर्ग



Salutations to the Supreme Father, the Supreme Soul, the Supreme Father, the Supreme Soul is the Guru. My Lord is my everything. The seeker prays to God and meditates. Chants the name of Satguru. The seeker wants to become Lord Nath’s. May I have darshan of my Supreme Lord, Lord. This is the prayer of the heart of the seeker that he gets the darshan of the Supreme Father, the Supreme Soul. One day the seeker feels as if God is watching. Whether I can see my God or not, my God has merged into me as soon as I see him. Seeing me, God is absorbed in me in the form of devotion, love, faith and humility. The Supreme Father, the Supreme Soul, is playing the veena in me in the form of sound. The seeker says, ‘My Lord, God has become my meditation and has merged into me. The light of God is shining in my heart and exposing every pore of my being. My God. Looking at me with a thousand eyes. God is with me every moment. Anita Garg

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