गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई 2023 गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं 1

गुरुपूर्णिमा कृतज्ञता प्रकट करने का दिन

गुरु पूर्णिमा अपने सद्गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है। यह शिष्य की आध्यात्मिक प्रगति का लेखा-जोखा प्रस्तुत करने का दिन है। यह दिन है जब हम गुरुदीप से आत्मदीप प्रज्ज्वलित कर दीप शिखा को और प्रचण्ड करते हैं। जन्मों-जन्मों के कर्मों के परिणाम स्वरूप दुःख भोगते जीवों की दुःख जंजीर को काटने, आवागमन के चक्र से मुक्ति हेतु गुरुशरण जाने का दिन है।

एक महान अवसर –गुरु पूर्णिमा
यह दिन है इस संसार में स्वर्गसम जीवन जीने के लिए नारकीय जीवन में उत्तम सुधार लाने हेतु गुरु ज्ञान विधि से स्वयं को प्रशिक्षित करने का, जीवन के वसन्त का, अज्ञान-अंधकार के अन्त का, चलने के लिए परमात्मा के पन्थ का, पढ़ने के लिए गुरुगीता ग्रन्थ का, जपने के लिए गुरु मंत्र का, शरण ग्रहण करने हेतु गुरु संत का गुरु पूर्णिमा महान अवसर है।

सफल हो जाये जन्म-मरण
गुरु से इस समय सीखना होता है मंत्रशक्ति जागरण, आत्मशोधन करके पाप का निवारण। सीखनी होती है वह युक्ति जिससे सफल हो जाये जन्म-मरण। जगाना होता है वह पुण्य स्नान, जिससे कट जाये माया का आवरण। ध्यान सफल हो, ज्ञान सफल हो, जीवन सफल हो, घर द्वार सफल हो, अÂ-धन से भक्तजन श्री सम्पÂ हों। तन-मन जीवन हर पल प्रसन्न हो सके। इसकी साधना पद्धति गुरु पूर्णिमा पर सद्गुरु से मिलती है। इसलिए चूकिये नहीं, अवसर को खो मत जाने दें, पधारें गुरु के द्वार, पूरे वर्ष में उत्तम अवसर आया है फिर एक बार।

झोली फैलाकर अपने सदगुरु व भगवान दोनों से मांगने का दिन
गुरु-शिष्य परम्परा के प्रति सम्मान और सत्कार व्यक्त करने का पवित्र दिवस है ‘‘गुरु पूर्णिमा’’। यह पर्व के सहारे शिष्य में प्रगाढ़ भक्ति, शक्ति, आध्यात्मिक सौभाग्य जगाने का दिवस है। समुद्र के ज्वारोन्मुख होने की परम्परा के समान गुरु पूर्णिमा ‘गुरु’ की आध्यात्मिक शक्तियों के उमड़ उठने का दिन है। शिष्य की पात्रता में गहराई लाने का दिन है। इसीलिए शिष्यों को यह अवसर खोना नहीं चाहिए, झोली फैलाकर अपने सदगुरु व भगवान दोनों से मांगना चाहिए नाम जपने, बरकत और भक्ति में रस पाने का अधिकार।

अवसर को खो मत जाने देंना
इस अवसर पर गुरु के सम्मुख बैठकर अपने अवगुणों को स्वीकार करने और ज्ञान, प्रकाश की कामना करने, कृपाएं पाने, सदगुरु को धन्यवाद, आभार प्रकट करने का शुभ दिवस है। शिष्य उसका गुरु इस अवसर पर उसे किस महाविद्या का मालिक बना दे, कल्पना ही नहीं की जा सकती। यह वह सौभाग्य का अवसर है, जब शिष्य की दैवी प्रकृति प्रकट हो उठती है और सद्गुरु उसे पहचान कर अपना लेते हैं और शिष्य एवं गुरु दोनों एक ही चेतना में स्थित होकर गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाते हैं। इसलिए चूकिये नहीं, अवसर को खो मत जाने दें, पधारें गुरु के द्वार, वर्ष में ही सही अवश्य एक बार।



Gurupurnima Day of Gratitude

Guru Purnima is the day to express gratitude towards our Sadguru. It is a day to present an account of the spiritual progress of the disciple. This is the day when we light the lamp of self with the Guru Deep and make the lamp more intense. It is the day to cut the chain of suffering of the living beings who are suffering as a result of the deeds of births and go to the Guru’s shelter to get rid of the cycle of traffic.

A great occasion – Guru Purnima This is the day to train oneself through Guru Gyan Vidhi, to lead a heavenly life in this world, to bring about the best improvement in hellish life, the spring of life, the end of ignorance-darkness, the path of God to walk, to study Guru Purnima is a great occasion to take refuge in the Guru Saint, to take refuge in the Guru Mantra for chanting the Guru Gita Granth.

be successful in birth and death One has to learn from the Guru at this time, mantrashakti jagran, removal of sin by self-refining. One has to learn that method by which one becomes successful in birth and death. That holy bath has to be awakened, by which the cover of Maya can be cut. May meditation be successful, may knowledge be successful, may life be successful, may the door be successful, may the devotees be blessed with wealth. May body-mind life be happy every moment. Its sadhna method meets Sadhguru on Guru Purnima. That’s why don’t miss, don’t let the opportunity be lost, come to Guru’s door, once again the best opportunity has come in the whole year.

The day to spread the bag and beg from both your Sadguru and God “Guru Purnima” is a holy day to express respect and reverence towards the Guru-disciple tradition. This is the day to awaken intense devotion, power, spiritual good fortune in the disciple with the help of the festival. Guru Purnima is the day of the rise of the spiritual powers of the ‘Guru’, similar to the tradition of the ocean turning tide. It is the day to bring depth in the eligibility of the disciple. That’s why the disciples should not lose this opportunity, should spread their bags and ask both their Sadguru and God for the right to chant the name, get blessings and enjoy devotion.

don’t miss the opportunity On this occasion, it is an auspicious day to sit in front of the Guru and accept your demerits and wish for knowledge, light, blessings, thank and express gratitude to the Sadguru. It cannot be imagined that the disciple should make his teacher the master of which Mahavidya on this occasion. This is the auspicious occasion, when the divine nature of the disciple is revealed and the Sadguru recognizes it and adopts it and both the disciple and the Guru celebrate the Guru Purnima festival by being situated in the same consciousness. That’s why don’t miss, don’t let the opportunity be lost, come to the Guru’s door, definitely once in a year.

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