[16]हनुमान जी की आत्मकथा

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(मैंने लंका में माँ सीता को खोजा था – हनुमान) 

मन्दिर मन्दिर प्रति कर शोधा…
(रामचरितमानस)

साधकों !  मुझे पता नहीं आप लोगों को ये  “पवनपुत्र की आत्मकथा”… कैसी लग रही है ?  

लेकिन मैं तो हनुमानमय बन गया हूँ…।

मुझे बचपन से ही हनुमान जी के बारे में मेरी मैया  कथा सुनाती थीं… कई कथाएँ हैं… कभी-कभी मुझे रात में डर लगता था तो मुझे कह देती थीं “भूत पिशाच निकट नही आवे”… इसी को बोलता रह तेरा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता ।

बचपन की बातें गहरी चली गयी थीं शायद ।

हनुमान जी को अपना बड़ा भाई मानने लगा था…  वैसे भी भाई तो कोई था नही मेरा… सहोदर भाई  कोई नही था… दो बहनें एक ने शादी कर ली जो छोटी है… एक बड़ी है… जो पूर्ण साधिका के जीवन को जी रही है… और बहुत खुश है ।

मेरी बड़ी दीदी जो हनुमान को बड़ा भाई मानती है… मैं कभी-कभी मजाक में उससे कह देता हूँ… कई रिश्ते ऐसे होते हैं… जो हमारे मानने न मानने से कोई फर्क नही पड़ता… वो रिश्ते होते ही है ।

जैसे मेरी छोटी बहन ने शादी की… तो मुझे भी उसके पति को मानना ही पड़ा… ऐसे ही मेरी बड़ी बहन ने हनुमान जी को  बड़ा भाई मान लिया… तो मैं इस रिश्ते को नजरअंदाज नही कर सकता ।

“राखी वाले दिन”  मेरी बड़ी बहन बचपन से ही हनुमान जी को पहले राखी बाँधती है तो इस तरह के माहौल ने मेरे चित्त पर एक आध्यात्मिक छाप छोड़ी मैं हनुमान जी को बड़ा भाई मानने लग गया ।

आज कोई काम करवाना हो तो मैं अपने कन्हैया से कुछ नही कहता… वो तो अत्यंत कोमल है… उसे क्यों कष्ट दूँ भला मैं !

मैं तो अपने बड़े भाई से कहता हूँ और  अधिकार से कहता हूँ काम तुरन्त होता है… होगा क्यों नही ?

कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसों नही जात है टारो…

चलिये कथा का प्रवाह टूटे नही… हनुमान जी ने भरत जी को बताया कि रात्रि के समय वह कैसे  लंका में घूम रहे थे…

और घूम इसलिए रहे थे… कि माता सीता मिल जाएँ

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रात्रि का समय हो गया है… 

मैं इतना छोटा बन गया हूँ कि राक्षसों के… पैरों के नीचे से होकर निकल जाता हूँ… पर राक्षस लोग इस पर ध्यान ही नही देते ।

पर क्यों हनुमान जी ?    

भरत जी ने पूछा ।

रात्रि के समय वहाँ लंका में हर राक्षस और  राक्षसियाँ शराब पीकर मत्त थे… उन्हें क्या लेना देना मुझ जैसे छोटे वानर से ।

सामने एक महल था… बहुत विशाल महल… ये किसका महल होगा ?  चलो देखूँ  ?  क्या पता मेरी माँ मैथिली को रावण ने यहीं रखा हो ?    भरत भैया !  मैं उस महल को देखकर विचार करने लगा था ।

फिर मेरे मन में आया… सागर किनारे उस गिद्ध  सम्पाती ने अपनी आँखों से देखकर बताया था… कि किसी बगीचे में हैं माँ… और  राक्षसियों ने  चारों ओर से घेर रखा है ।

पर भरत भैया !  मैंने  सोचा… सम्पाती ने जब देखा था उस समय तो दिन था और दिन के समय माँ मैथिली को ले गयी होंगी राक्षसियाँ  बगीचे में… पर रात्रि को कोई कैसे बगीचे में सोयेगा… पर कहाँ होंगी मेरी माँ मैथिली ! !

विशाल महल को देखकर लगा कि लंकेश का महल होगा… पर ये क्या… मैं जैसे ही महल के पास गया लगा कि हजारों भैंसे एक साथ चिल्ला रही हों…।

मैं भीतर गया… भरत भैया !  मैं उसे देखते ही चकित हो गया था एक विशालकाय राक्षस सो रहा है… निद्रा के कारण गले में एक ध्वनि बन रही है… और वह ध्वनि इतनी खतरनाक है कि लग रहा है हजारों भैंसे चिल्ला रही हों ।

ये कौन है ?  ये कौन होगा ?

ये रावण तो नही है ?

ओह !  ये रावण का भाई कुम्भकर्ण है… सोता ही रहता है ये ।

हनुमान जी ने देखा उसके बिस्तर से उचित दूरी पर कोई नारी सो रही है… विचार किया कहीं ये तो माँ मैथिली नही हैं ?

उस नारी के मुख से चादर हटा कर भी देखा…  पर भरत भैया !  मैंने तुरन्त ढँक भी दिया ।

मेरी माँ मैथिली ऐसी थोड़े ही होंगी !  

ऐसा विचार करते हुए मैं आगे की ओर बढ़ा ।

किसी महिला को मैंने एक बार से दो बार नही देखा होगा… मैं एक बार भी महिला को इसलिए देख रहा था कि कहीं मेरी माँ मैथिली तो नही हैं ये ?

पर नहीं… एक भी नारी मुझे ऐसी नही लगी लंका में अभी तक… जिसे देखकर मैं थोड़ा असमंजस में पड़ जाता कि कहीं यही तो माँ मैथिली ?    

नहीं भरत भैया !   ऐसी बात नही थी… कि राक्षस राज में सब राक्षसियाँ काली और कुरूप ही थीं… नहीं… सुन्दरी थीं सबकी सब अप्सराओं को लज्जित कर दें… ऐसे सौंदर्य को धारण करके बैठी थीं…।

पर मैं उनके चेहरे को देखता था तो मुझे कहीं से नही लगा कि मेरे श्री राघवेन्द्र सरकार की आद्यशक्ति यही हैं… ।

रात्रि का दूसरा प्रहर शुरू हो गया था…

एक बहुत बड़ा रंजन करने का स्थान था… उसमें   कृत्रिम झरने बनाये गए थे… भरत भैया !  उन झरनों से मदिरा बह रही थी ।

तेज़ ध्वनि थी… संगीत बज रहा था… मादकता लिए हुए अब राक्षसियाँ नृत्य करने लगी थीं… 

भरत भैया !   मैं नृत्य करने वाली स्त्रियों को तो नहीं पर जो थोड़ी सुस्त थीं… कुछ उदास-सी बैठी थीं… उनको देख रहा था क्या पता इनमें से ही कोई मेरी माँ मैथिली हो ।

ओह !  ये क्या ?   अब तो स्त्री और पुरुष सबने अपने-अपने वस्त्रों को उतार दिया था… और नग्न नृत्य शुरू हो गया था ।

भरत भैया !  मैं वहाँ से  भागा… और अब अन्य महलों में गया ।

ये तो महल मेघनाद का लगता है… दरवाजे बन्द  थे… पर हम वानरों को कौन रोक सका है… मच्छर के समान छोटा बनकर ही मैं घुस गया था   मेघनाद के महल में…।

पर नहीं… वहाँ तो उसकी अर्धांगिनी ही सो रही थी ।

मैं उस महल से भी बाहर आ गया…।

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भरत भैया !    लंका को देखकर मुझे बहुत  आश्चर्य हो रहा था…

बाहर से देखो तो लंका में महलों की बनावट ऐसी थी –  जैसे  कोई मन्दिर हो ये… पर भीतर जाकर देखो तो छी ! 

एक विशाल महलनुमा घर देखा मैंने… मैं भीतर गया… तो वहाँ हजारों राक्षस और राक्षसियाँ  शराब पीकर मत्त सो रहे थे… 

कोई पूर्ण नग्न था तो कोई अर्ध नग्न… 

ये वहीं राक्षसियाँ हैं… जिनको देखकर देवता भी ललचा जाते हैं ।

पर अभी इनकी दशा ऐसी है कि कोई देख ले इनको… तो घिन आ जाये ।

किसी के लार निकल रहा है मुँह से… तो किसी ने अति मदिरा पीने के कारण वमन ही कर दिया था और जहाँ इसने वमन किया है… वहाँ इसका ही पुरुष सोया हुआ है…।

भरत भैया !  ये सब देखकर मैं तुरन्त बाहर निकल आया… ऐसे स्थान पर मेरी माँ मैथिली कहाँ होंगी !

बाहर आकर बैठ गया था मैं…

तभी चमकता हुआ सा कुछ मुझे दिखाई पड़ा… मन्द संगीत की ध्वनि आ रही थी उसी दिशा से…

मैं चल पड़ा उसी दिशा की ओर… तभी मैंने देखा शुद्ध स्वर्ण से बना एक  महल है… उस महल में  हीरे और नीलम की पच्चीकारी की गयी है… शिखर है उसका उच्च !

मैंने धीरे से उस महल में प्रवेश किया…

सब सो रहे थे…

कम से कम से इस महल में सौ से भी अधिक कक्ष होंगे ।

मैं उन सभी कक्षों में गया… भरत भैया !  मैं ये सब देखकर चकित था कि ये महल रावण का ही था… और उसने अपनी रानियाँ हजारों बना रखी थीं… वो सब सो रही थीं… पर उनकी नींद गहरी नहीं थी मानो ऐसे सो रही थीं कि राक्षसराज रावण की प्रतीक्षा करते-करते सो गयी थीं… और अभी भी निमन्त्रण आ जाये… इस आस में ही सो रही थीं ।

मैं उन सबको देखते हुए आगे बढ़ रहा था… 

ओह !   ये है रावण !

मैंने रावण को देखा… काला शरीर था उसका…  पर शरीर था वज्र का सा कठोर… मैं काफी देर तक देखता रहा उसे…

उसके मस्तक में त्रिपुण्ड्र तिलक लगा था… वो  तिलक कुछ मिट-सा गया था… 

उसके गले में रुद्राक्ष की माला थी… मूर्ख है… रुद्राक्ष की माला तो उतार देता… पर नहीं ।

उसका वक्ष चौड़ा था… मैंने देखा… उसके वक्ष पर  अपना सिर रखकर कोई अत्यंत सुन्दरी सोई हुयी थी ।

वो बहुत सुन्दरी थी उसका कटि भाग बहुत कृश था… उसके सुनहरे केश रावण के वक्ष पर बिखरे हुए थे ।

मैंने पास से उस नारी को देखा… तब लगा… कि  ये तो कामुकता से भरी स्त्री है ।

उसके मुख मण्डल में प्रेम नही था… कामुकता स्पष्ट झलक रही थी ।

ये देखकर… दशानन का महल अच्छे से  देखकर…

मैं बाहर आ गया… और एक पाकर वृक्ष के नीचे  आकर बैठ गया ।

भरत भैया !   तभी मुझे ग्लानि होने लगी… 

हनुमान !  तुम ब्रह्मचारी हो… फिर ये सब क्या कर रहे हो ? 

नग्न स्त्रियों को देखते हुए चल रहे हो क्या अब भी तुम ब्रह्मचारी रहे ?

मेरी अंतर्रात्मा मुझे कचोट रही थी… भरत भैया !

हनुमान ! तुमसे पाप हुआ है… और इस पाप का प्रायश्चित्त तो शरीर को त्यागने पर ही सम्भव होगा ।

ओह ! मैंने क्या किया ?  कामुक स्त्री और पुरुष का भोग विलास देखा ।

ऐसे विचार क्यों आये आपके मन में पवनपुत्र ?

आप तो प्रभु श्रीराम का काम कर रहे हैं… इन सबको देखने के बाद भी आपका मन रस कहाँ ले रहा था…?

आपका मन प्रभु श्रीराम के चरणों में ही तो था ना… फिर ऐसे विचारों का आना क्यों ?  

भरत भैया !   मुझे बाद में समझ में आई ये बात कि ऐसे विचार जो मेरे मन में आये उसका कारण था… ये लंका… यहाँ की प्रदूषित वायु ।

मैं कुछ देर के लिए शान्त होने की कोशिश कर ही रहा था कि… 

“श्री राम जय राम जय जय राम”

ये सुमधुर आवाज मुझे सुनाई दी… मैं आनन्दित हो गया ।

आहा !    ये विजयमन्त्र… कौन गा रहा है…

और जो गा रहा था उसकी आवाज भी बड़ी मीठी थी… और प्रेमपूर्ण थी ।

मैं उसी आवाज की ओर खिंचा चला गया ।

सामने एक घर है… भवन है उस भवन में चक्र   शंख गदा और कमल के चिन्ह हैं… तुलसी का पौधा है…

भरत भैया !  मैं आनन्दित हो गया…

मन में सोचने लगा इन राक्षसों की भूमि में… ये सन्त कहाँ से ?

शेष चर्चा कल…

रामायुध अंकित गृह शोभा बरनी न जाई
नव तुलसिका वृन्द तहँ देखि हरष कपि राई…



(I searched mother Sita in Lanka – Hanuman)

Search for temple per temple… (Ramcharitmanas)

Seekers! I don’t know how do you guys like this “autobiography of son of wind”?

But I have become Hanumanmay.

My mother used to tell me stories about Hanuman ji since childhood… there are many stories… sometimes when I used to get scared at night, she used to tell me “ghosts and vampires should not come near”… you kept saying this No one can spoil anything.

Perhaps the childhood issues had gone deep.

I had started considering Hanuman ji as my elder brother… Anyway, I had no brother… I had no sibling… Two sisters got married, one is younger… one is elder… who is complete. Living the life of a Sadhika…and very happy.

My elder sister who considers Hanuman as her elder brother… I sometimes jokingly tell her… Many relationships are like this… It doesn’t matter whether we agree or not… Those relationships are bound to happen.

Just like my younger sister got married… so I also had to accept her husband… similarly my elder sister accepted Hanuman ji as her elder brother… So I cannot ignore this relationship.

“On the day of Rakhi” my elder sister used to tie Rakhi to Hanuman ji first since childhood, so this kind of atmosphere left a spiritual impression on my mind, I started considering Hanuman ji as my elder brother.

If I want to get some work done today, I don’t say anything to my Kanhaiya… He is very soft… Why should I trouble him!

I say to my elder brother and I say to authority that the work gets done immediately… why not?

Who is the trouble for the poor, The one who doesn’t go with you, Taro…

Let’s not break the flow of the story… Hanuman ji told Bharat ji how he was roaming in Lanka at night…

And were roaming around… to meet Mother Sita

, It’s night time…

I have become so small that I pass under the feet of the demons… but the demons do not pay any attention to this.

But why Hanuman ji?

Bharat asked.

At night there in Lanka every demon and demons were intoxicated with alcohol… what do they have to do with a small monkey like me.

There was a palace in front… very huge palace… whose palace would it be? let’s see Do you know if Ravana has kept my mother Maithili here? Brother Bharat! I started thinking after seeing that palace.

Then it came to my mind… that vulture Sampati had told by seeing with his own eyes on the sea shore… that mother is in some garden… and demons have surrounded her from all sides.

But brother Bharat! I thought… When Sampati had seen it, it was day time and during day time the demons must have taken Maithili to the garden… but how can anyone sleep in the garden at night… but where would my mother Maithili be! ,

Seeing the huge palace, it seemed that it would be Lankesh’s palace… But what is this… As soon as I went near the palace, I felt that thousands of buffaloes were shouting together….

I went inside… Bharat Bhaiya! I was amazed to see that a huge monster is sleeping… due to sleep a sound is being made in the throat… and that sound is so dangerous that it seems thousands of buffaloes are shouting.

who is this ? Who will this be?

Isn’t this Ravan?

Oh ! This is Ravana’s brother Kumbhakarna… He keeps on sleeping.

Hanuman ji saw a woman sleeping at a proper distance from her bed… Thought whether she is not mother Maithili?

Even after removing the sheet from the face of that woman, saw… but brother Bharat! I covered it immediately.

My mother Maithili would not be like this!

Thinking like this, I moved forward.

I would not have seen a woman twice… I was looking at a woman even once because whether she is my mother Maithili or not?

But no… I haven’t found a single woman like this in Lanka so far… Seeing whom I used to get a little confused whether she is Mother Maithili?

No brother Bharat! It was not such a thing… that in the Rakshasa Raj, all the demons were black and ugly… No… Everyone was beautiful, put all the Apsaras to shame… She was sitting wearing such beauty….

But when I used to see his face, I did not feel that this is the primary power of my Shri Raghavendra Sarkar….

The second part of the night had begun.

There was a very big place for dyeing… artificial waterfalls were made in it… Bharat Bhaiya! Wine was flowing from those springs.

There was a loud sound… music was playing… now the demons started dancing intoxicated…

Brother Bharat! I was not looking at the dancing women but those who were a bit lethargic… some were sitting sad… who knows if any of them could be my mother Maithili.

Oh ! What is it ? Now both men and women had taken off their clothes… and the naked dance had begun.

Brother Bharat! I ran away from there… and now went to other palaces.

This seems to be the palace of Meghnad… The doors were closed… but who could stop us monkeys… I had entered Meghnad’s palace as small as a mosquito….

But no… his better half was sleeping there.

I came out of that palace too.

**************************************

Brother Bharat! I was very surprised to see Lanka…

If seen from outside, the structure of the palaces in Lanka was like this – it is like a temple… But if you go inside and see, it is disgusting!

I saw a huge palatial house… I went inside… there thousands of demons and demons were sleeping drunk…

Some were completely naked and some were half naked.

These are the same demons… Seeing whom even the gods get tempted.

But now their condition is such that if someone sees them… they will feel disgusted.

Saliva is coming out of someone’s mouth… then someone had vomited because of drinking too much alcohol and where he has vomited… his man is sleeping there….

Brother Bharat! Seeing all this, I immediately came out… Where would my mother Maithili be in such a place!

I came out and sat…

That’s why I saw something shining… The sound of soft music was coming from the same direction…

I walked towards the same direction… Then I saw a palace made of pure gold… Diamond and Sapphire mosaics have been done in that palace… Its peak is high!

I slowly entered that palace…

Everyone was sleeping…

At least this palace will have more than a hundred rooms.

I went to all those rooms… Bharat Bhaiya! I was amazed to see all this that this palace belonged to Ravana only… and he had made thousands of his queens… all of them were sleeping… but their sleep was not deep as if they were sleeping as if the demon king was waiting for Ravana. She had fallen asleep… and still she was sleeping in the hope that the invitation would come.

I was moving forward looking at all of them…

Oh ! This is Ravan!

I saw Ravana… He had a black body… But the body was as hard as a thunderbolt… I kept looking at him for a long time…

Tripundra tilak was applied on his forehead… that tilak was somewhat erased…

He had a rosary of Rudraksh around his neck… he is a fool… he would have removed the rosary of Rudraksh… but no.

Her chest was broad… I saw… someone very beautiful was sleeping with her head on her chest.

She was very beautiful, her waist was very thin… Her golden hair was scattered on Ravana’s chest.

I saw that woman from near… then felt… that she is a woman full of sensuality.

There was no love in his face… sexuality was clearly visible.

Seeing this… Seeing the palace of Dashanan well…

I came out… and found one and sat under the tree.

Brother Bharat! That’s when I started feeling guilty…

Hanuman ! You are celibate… Then what are you doing all this?

Are you still celibate while walking looking at naked women?

My inner soul was hurting me… Brother Bharat!

Hanuman ! You have committed a sin… and atonement for this sin will be possible only after leaving the body.

Oh ! What did I do ? Saw the sensual pleasures of men and women.

Why did such thoughts come to your mind son of wind?

You are doing Lord Shri Ram’s work… Even after seeing all these, where was your mind taking juice…?

Your mind was only at the feet of Lord Shriram, wasn’t it? Then why do such thoughts come?

Brother Bharat! I came to understand later that the reason for such thoughts coming in my mind was… this Lanka… the polluted air here.

I’ve been trying to calm down for a while…

“Shri Ram Jai Ram Jai Jai Ram”

I heard this melodious voice… I became happy.

Ouch! This Vijay Mantra… who is singing…

And the voice of the one who was singing was very sweet…and full of love.

I was drawn towards that voice.

There is a house in front… there is a building, in that building there are symbols of chakra, conch, mace and lotus… there is a Tulsi plant…

Brother Bharat! I rejoiced…

Started thinking in the mind that in the land of these demons… where is this saint from?

Rest of the discussion tomorrow…

Ramayudh Ankit Griha Shobha Barani Na Jai New Tulsika Vrind Tahan Dekhi Harsh Kapi Rai…

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