[23]हनुमानजी की आत्मकथा

IMG WA

आज के विचार

( हे मेरे प्यारे राम..)
भाग-23

राम समान प्रभु नाहीं कहूँ…
(रामचरितमानस)

मेरे प्यारे राम ! ये क्या लीला है तेरी…

कल एकाएक अयोध्या बुला लिया…

सुबह कल बैठा ही था ध्यान कर ही रहा था और मन में आया कि चलूँ रामनवमी को अयोध्या… पर मन नही भी था श्री धाम वृन्दावन को छोड़ने का… पर हँसी आती है मुझे, मेरे मन का तुमने होने ही कब दिया है आज तक… जो तुमने चाहा वही तो किया है।

कल रामनवमी की सन्ध्या में ही अयोध्या कनकभवन में पहुँच गया था ।

बहुत रोना आया… कितना अधिकार जताते हो यार ! मेरे पर ।

मैं जहाँ रुकता हूँ अवध में… वहाँ से कनक भवन दिखाई देता है ।

कल पूरी रात रोता ही तो रहा था मैं

ओह ! इसी लिए “पवनपुत्र की आत्मकथा” लिखवा रहे थे मुझ से ।

हनुमान गढ़ी में गया धन्यवाद कहने अपने बड़े भाई को… पर नही कहा गया… बड़े भाई से धन्यवाद ?

अब तो यही कहूँगा… इतना अधिकार मत जताओ मेरे राम !

भला मैं प्रेम के तत्व को क्या समझूँ ? प्रेम में प्रियतम अपना पूरा अधिकार जताता है मैंने सुना था… पर मैं क्या तुम्हारे प्रेम के लायक हूँ…!

मैं क्या जानूँ प्रेम को !… प्रेम का “प” भी मुझे नही पता… हाँ भरत जी जानते हैं मेरे बड़े भाई हनुमान जी जानते हैं पर मैं ?

हँसी और आँसू दोनों ही बह रहे हैं… उफ़ !

तुम्हारी इच्छा है तो कैसे पूरी नही होती… लो खींच ही लिया आखिर तुमने अपनी जन्म भूमि में… और वो भी अपनी वर्ष गाँठ के समय… ओह ! कैसे शुक्रिया अदा करूँ !

शारीरिक कष्ट हुआ… पर तुम क्यों देखने लगे मेरा शारीरिक कष्ट !

वृन्दावन से अयोध्या स्वयं ही गाड़ी चला कर आ गया… घर वालों ने लाख मना किया… पर मुझे तो तुम खींच रहे थे ना…

और प्रियतम को क्या पड़ी… कि उसका प्रेमी चाहे कष्ट पाकर हो या सुख पाकर हो… उसे तो अपने पास बुलाने से मतलब है ।

हो गयी ना तुम्हारी इच्छा पूरी… हद्द है…

प्रेम का साक्षात्कार ही करा दिया…।

पर अवध की भूमि में जैसे ही मैंने अपने पैर रखे शारीरिक कष्ट कहाँ गया… पता ही नही उफ़ !

और तुम्हारे इस कनक भवन को देखते ही मन आनन्दित हो गया और आनन्द में रात भर सो भी नही पाया पर थकान नही है बिलकुल नही है… ये सब क्या है… क्या यही प्रेम है ?

मैं क्या जानूँ…।


बहुत मुश्किल है यार ! तेरे प्रेम में इस तरह जिंदगी गुजारना !

कोई समझता ही नही है… पूजा कर लो… पाठ कर लो… ध्यान कर लो लोग इतने तक को ही समझते हैं… पर ये प्रेम तो नही है ना… प्रेम तो !… सब कुछ फूँक देने का नाम है… पर लोग समझते ही नही हैं… मेरे घर वाले भी नही समझते… कैसे समझाऊँ उन्हें…।

इस लेन-देन के बाजार में प्रेम की बात बेमानी-सी लगती है

सब को लगता है… इससे लाभ क्या…?

अब मैं समझा नही पाता कि प्रेम ने भला क्या कभी लाभ-हानि सोची है ?

प्रेम तो अपने आपको फूँकनें का नाम नही है क्या ?

प्रेम प्रेम… प्रेम चारों ओर चर्चा तो प्रेम की है… पर प्रेम करता कौन है इस जमाने में कैसा पाखंड बाजार फैला रखा है… प्रेम के नाम पर ये सब हे मेरे राम ! अब देखा नही जाता… क्या करूँ ?…

जी घबड़ा जाता है… रह रहकर रोना आता है… क्या करूँ ?
कहाँ जाऊँ ? कहाँ रहूँ ?

शायद मैं इस जमाने के लायक ही नही हूँ…?

इससे लाभ क्या ? लोग पूछते हैं… मैं क्या उत्तर दूँ उन्हें ?

छोड़ो ना ! मैं भी क्या रोना धोना लेकर बैठ गया… जमानें की बातें लेकर बैठ गया… तुम्हें बोर कर दिया ना ? ना, मत होना मुझ से बोर… मैं तुमसे नही कहूँगा तो किससे कहूँगा…।

अच्छा लो.. नही रो रहा… अपने आँसू पोंछ लिए मैंने

हाँ… आज तो तुम्हारी वर्ष गाँठ है ना…

आज के ही दिन मेरे राम !.. तुम्हारा प्राकट्य हुआ था इसी भूमि में !

आहा ! इसीलिये मुझे ये सब दिखाने के लिए तुम वृन्दावन से मुझे खींच के लाए हो ना !…

अब समझा ।

इससे ज्यादा मुझ से लिखा नही जा रहा… तुम्हारे करम का मेरे ऊपर बहुत बोझ हो चुका है…

पर मेरे तुम ही हो… सिर्फ तुम हो मेरे… और कोई नही है ।

नही नही… जगत की आलोचना से मुझे कोई मतलब नही है…

तुम जिसमें राजी हो… वही करो… मैम यंत्र हूँ तुम्हारा तुम यन्त्री हो… अब कोई गिला नही, न शिकवा…

तुमने अपना प्यार दिखा दिया… मैं मान गया तुम्हें ।

वही तो मैं सोच रहा था… “पवनपुत्र की आत्मकथा” लिखवाने के पीछे क्या उद्देश्य था तुम्हारा मेरे बड़े भाई हनुमान जी से… हनुमान गढ़ी में ही मुझे मिलवा ना… और अपनी बधाई में मुझे नचाना !

नाचूँगा मैं… खूब नाचूँगा… बस तुम रीझे रहो मेरे रिझवार !

बधाई चल रही है… कनक भवन में…

अवध में बाजे बधाई…

राम जन्म सुनी आई अवध में बाजे बधाई

जय हो जय हो जय हो…

तुम्हारी हर इच्छा पूरी हो… मेरे प्यारे राम !



thoughts of the day

(O my dear Ram..) Part-23

Ram Samaan Prabhu Nahin Kahun… (Ramacharitmanas)

My dear Ram! What is this leela of yours…

Yesterday suddenly called Ayodhya…

Yesterday morning I was sitting and meditating and it came to my mind that I should go to Ayodhya for Ram Navami… But I didn’t even want to leave Shri Dham Vrindavan… But I am laughing, how long have you allowed my mind to be there till today… You have done what you wanted.

Ayodhya had reached Kanaka Bhavan on the evening of Ram Navami yesterday.

I cried a lot… You are showing so much authority! on me

Where I stay in Awadh… Kanak Bhawan is visible from there.

I was crying all night last night

Oh ! That’s why they were getting me to write “The Autobiography of Pavanputra”.

Hanuman went to Garhi to say thanks to his elder brother… but was not told… thank elder brother?

Now I will only say this… Don’t show so much authority, my Ram!

How do I understand the essence of love? In love, the beloved expresses his full rights, I had heard… but am I worthy of your love…!

What should I know about love! I don’t even know the “P” of love… Yes, Bharat ji knows, my elder brother Hanuman ji knows, but I?

Laughter and tears both are flowing… Oops!

If your wish is there, then how come it is not fulfilled… after all, you have pulled it to your birth land… and that too at the time of your wedding… Oh! How to thank you!

Physical pain happened… but why did you start seeing my physical pain!

He himself came from Vrindavan to Ayodhya by driving… The family members refused a lot… But you were pulling me, weren’t you…

And what does the beloved have to do with… that whether his lover is after getting pain or after getting happiness… it means to call him near.

Your wish has been fulfilled, isn’t it… there is a limit…

Just got the interview of love done….

But as soon as I put my feet in the land of Awadh, where did the physical pain go… Oops!

And on seeing this Kanak building of yours, the mind became happy and could not even sleep whole night in joy but there is no tiredness at all… what is all this… is this love?

What do I know….

It’s hard man! To live life like this in your love!

No one understands at all… Worship… Recite… Meditate, people only understand this much… But this is not love, isn’t it… Love is! are… even my family members do not understand… how can I explain to them….

Talk of love seems meaningless in this transactional market

Everyone thinks… What is the benefit of this…?

Now I cannot understand whether love has ever thought of profit or loss?

Love is not the name of blowing oneself, is it?

Love love… love is discussed all around… But who loves, what kind of hypocrisy the market has spread in this world… All this in the name of love, O my Ram! Can’t see now… what to do?…

I get nervous… I feel like crying continuously… what should I do? Where do I go ? where to stay

Maybe I am just not fit for this era…?

What is the benefit of this? People ask… what should I answer them?

Don’t leave! Why did I also sit there crying… I sat down with the things of the past… I bored you, didn’t I? No, don’t be bored with me… If I don’t tell you then to whom will I tell….

Ok lo.. not crying… I wiped my tears

Yes… today is your anniversary, isn’t it…

On this day only my Ram!.. You appeared in this land!

Ouch! That’s why you have dragged me from Vrindavan to show me all this, haven’t you?

Got it .

I am not going to write more than this… Your Karma has put a lot of burden on me…

But you are mine… only you are mine… there is no one else.

No no… I have nothing to do with the criticism of the world…

Whatever you agree with… do the same… Mam I am your machine, you are the machine… Now there is no grudge, no complaint…

You have shown your love… I agree with you.

That’s what I was thinking… What was your purpose behind writing “Autobiography of Pavanputra” to my elder brother Hanuman ji… Do not introduce me to Hanuman Garhi itself… and make me dance in your greetings!

I will dance… I will dance a lot… You just be patient my Rizwaar!

Congratulations are underway… in Kanak Bhavan…

Greetings in Awadh…

I heard the birth of Ram and congratulated in Awadh.

Jai ho jai ho jai ho…

May all your wishes come true… my dear Ram!

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *