नमो केसरी पूत महावीर वीरं, मंङ्गलागार रणरङ्गधीरं।
कपिवेष महेष वीरेश धीरं, नमो राम दूतं स्वयं रघुवीरं।
नमो अञ्जनानंदनं धीर वेषं, नमो सुखदाता हर्ता क्लेशं।।
किए काम भगतों के तुमने सारे।
मिटा दुःख दारिद संकट निवारे।।
सुग्रीव का काज तुमने संवारा।
मिला राम से शोक संताप टारा।।
गये पार वारिधि लंका जलाई।
हता पुत्र रावण सिया खोज लाई।।
सिया का प्रभु को सभी दुःख सुनाया।
लखन पर पड़ा कष्ट तुमने मिटाया।।
सभी काज रघुवर के तुमने संवारे।
सभी कष्ट हरना पड़े तेरे द्वारे।।
कहे दास तेरा तुम्हीं मेरे स्वामी।
हरो विघ्न सारे नमामि नमामी।।
पूजन विधि-
सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर प्रातः ही स्नान कर लाल वस्त्र धारण करें।
कुशा या ऊन के आसन पर बैठकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र सामने रखकर श्रीहनुमान यंत्र को ताम्रपत्र पर खुदवाकर मूर्ति के पास रखें और सिन्दूर, चावल, लाल फूल, धूप, घी का दीपक, अगरबत्ती द्वारा पूजन करें। बूंदी के लड्डू का भोग लगायें पुष्प हाथ में लेकर नीचे लिखा श्लोक पढ़ें।
अतुलित बलधामं हेम शैलाभदेहं,
दनुज-वन कृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकल गुणनिधानं वानराणामधीशं,
रघुपति प्रियभक्तं वातात्मजं नमामि।।
इसके उपरान्त फूल अर्पण करके हनुमानजी का ध्यान करते हुए श्रीहनुमान चालीसा का पाठ करके लाल चन्दन की माला से “हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट” मंत्र का १०८ बार नित्य प्रति जाप करें।
।। श्रीहनुमते नमः ।।