भगवान ने मिट्टी क्यों खायी

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भगवान श्री कृष्ण कि दो पत्नियाँ बताई गई है – एक तो श्री देवी और दूसरी भू देवी, जब भगवान लीला करने के लिए वृंदावन में अवतरित हुए, तो जब भगवान पहली बार भूमि पर पैर रखा क्योकि अब तक बाल कृष्ण चलना नहीं सीखे थे, तो पृथ्वी भगवान से बोली प्रभु ! आज आपने मुझपर अपने चरण कमल रखकर मुझे पवित्र कर दिया. जब भगवान अपनी पत्नी भू देवी जी से बात करते, तो कोई ना कोई आ जाती ,तो भगवान ने झट मिटटी का छोटा-सा टुकड़ा उठाया और मुख में रख लिया और बोले कि पृथ्वी अब तुम मुझसे, मेरे मुख में ही बात कर सकती हो,पृथ्वी का मान बढाने के लिए भगवान ने उनका भक्षण किया.दूसरा कारण यह था कि श्रीकृष्ण के उदर में रहने वाले कोटि-कोटि ब्रह्माण्डो के जीव ब्रज-रज, गोपियों के चरणों की रज-प्राप्त करने के लिए व्याकुल हो रहे थे. उनकी अभिलाषा पूर्ण करने के लिए भगवान ने मिट्टी खायी.भगवान स्वयं ही अपने भक्तो की चरण-रज मुख के द्वारा अपने हृदय में धारण करते है.क्योकि भगवानने तो स्वयं ही कहा है कि में तो अपनेभक्तो का दास हूँ जहाँ से मेरे भक्त निकलते है तो में उनके पीछे पीछे चलता हूँ और उनकी पद रज अपने ऊपर चढ़ाता हूँ क्योकि उन संतो गोपियों कि चरण रज से में स्वयं को पवित्र करता रहता हूँ|
जय श्री कृष्ण



Lord Shri Krishna has two wives – one is Shri Devi and the other is Bhu Devi, when the Lord appeared in Vrindavan to perform Leela, when the Lord first set foot on the ground because child Krishna had not yet learned to walk, then Lord spoke to the earth god! Today you have made me pure by placing your lotus feet on me. When God used to talk to his wife Bhu Devi ji, then someone would come, then God quickly picked up a small piece of soil and put it in the mouth and said that earth now you can talk to me, in my mouth only. In order to increase the value of the earth, God devoured them. The second reason was that the creatures of various universes living in the abdomen of Shri Krishna were getting anxious to get Braj-Raja, Raja-Raja of the feet of the gopis. To fulfill their desire, the Lord ate the soil. God Himself holds the feet of His devotees in His heart through the mouth. Because God Himself has said that I am the slave of His devotees, from where my devotees come. So I follow them and I offer their pada Raja on myself because I keep purifying myself from the feet of those saints and gopis. Long live Shri Krishna

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