प्यार का पैगाम

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कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा पूरे खत में सिर्फ कान्हा-कान्हा नाम लिखा. कोई प्यार करे तो राधा-कृष्ण की तरह करे जो एक बार मिले, तो फिर कभी बिछड़े हीं नहीं. राधा कहती है दुनियावालों से तुम्हारे और मेरे प्यार में बस इतना अंतर है प्यार में पड़कर तुमने अपना सबकुछ खो दिया और मैंने खुद को खोकर सबकुछ पा लिया. 
भक्ति में भक्त का झुकना अनिवार्य होता है तभी भगवान को भक्त स्वीकार्य होता है।साँवरे-गोरी की यह जोड़ी कितनी प्यारी लग रही है। भोर हुई तब कान्हा का नाम लिया सुबह की पहली किरण ने फिर मुझे उसका पैगाम दिया सारा दिन बस कन्हैया को याद किया जब रात हुई तो फिर मैंने उसे ओढ़ लिया. राधा ने किसी और की तरफ देखा हीं नहीं… जब से वो कृष्ण के प्यार में खो गई कान्हा के प्यार में पड़कर, वो खुद प्यार की परिभाषा हो गई. राधा कृष्ण का मिलन तो बस एक बहाना था दुनिया को प्यार का सही मतलब जो समझाना था. जब कृष्ण ने बंसी बजाई, तो राधा मोहित होने लगी जिसे कभी न देखा था उसने, उससे मिलने को व्याकुल होने लगी. प्यार दो आत्माओं का मिलन होता है ठीक वैसे हीं जैसे………. प्यार में कृष्ण का नाम राधा और राधा का नाम कृष्ण होता है. प्रेम करना हीं है, तो मेरे कान्हा से करो जिसकी विरह में रोने से भी तेरा उद्धार हो जाएगा. हे मन, तू अब कोई तप कर ले एक पल में सौ-सौ बार कृष्ण नाम का जप कर ले. जमाने का रंग फिर उस पर नहीं चढ़ता…. जिस पर कृष्ण प्रेम का रंग चढ़ जाता है वो सभी को भूल जाता है, जो साँवरे का हो जाता है. कृष्ण की आँखों में राधा हीं राधा नजर आती है मानो कृष्ण की आँखें, राधा की थाती है. अगर तुमने राधा के कृष्ण के प्रति समर्पण को जान लिया तो तुमने प्यार को सच्चे अर्थों में जान लिया.

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