कृष्ण के जन्म से उनकी लीला संवरण तक हर घटना अपने आप में गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए है, जो हमें भी यह विश्वास दिलाती है कि हर घटना एक दूजे से जुड़ी है और निर्धारित क्रम में उसका होना पूर्व निर्धारित है।
रास रचाते, मुरली बजाते कृष्ण स्थूल जीवन में ललित कलाओं के महत्व का प्रतिपादन करते हुए एक दक्ष कलाकार हैं, तो सूक्ष्म रूप में साधना में रत किसी प्राणी को होने वाले अनुभवों के रूप में इन दोनों कलाओं का वर्णन करते है।
गोपाल बनकर कृषि प्रधान धरा पर पशु धन के संरक्षण का संदेश देते हैं।
ब्रजमंडल से पलायन, जीवन में कर्म, धर्म व आदर्शो की स्थापना को व्यक्तिगत सुख से ऊपर रखने का अद्भुत व सर्वकालिक प्रासंगिक प्रयास है।
कंस का वध अधर्म व अन्याय के विनाश हेतु संरक्षित बल के प्रयोग की आवश्यकता बताता है
कुब्जा का उद्धार, सोलह हजार राजकुमारियों का उद्धार, द्रोपदी की रक्षा समाज में नारी अस्मिता को स्थापित करने का माध्यम है।
नाम हरि का जप ले बन्दे, फिर पीछे पछतायेगा
अपने अपने गुरुदेव की जय
श्री कृष्णाय समर्पणं
Every event from Krishna’s birth to his Leela Samvaran contains deep spiritual secrets in itself, which also assures us that every event is related to each other and its happening in a fixed sequence is predetermined.
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Krishna, while composing raas, playing murli, is a skilled artist rendering the importance of fine arts in gross life, while in a subtle form, describes both these arts as the experiences of a creature engaged in spiritual practice.
By becoming Gopal, he gives the message of conservation of animal wealth on the agricultural land.
Escape from Brajmandal is a wonderful and all-time relevant effort to put the establishment of karma, religion and ideals in life above personal happiness.
The killing of Kansa shows the need for the use of protected force for the destruction of unrighteousness and injustice.
The salvation of Kubja, the salvation of sixteen thousand princesses, the protection of Draupadi is the means of establishing women’s identity in the society.
A person chanting the name of Hari, then he will regret later.
Hail to our own Gurudev
shri krishna dedication