कृष्ण लीला करते 1

कन्हैया व्रज में एक गोपी के घर जाकर उस गोपी से कहते है- “क्या मैं तनिक सा मक्खन ले लूँ”
गोपी मंद मंद मुस्काती हुई कहती है- “देख लाला यदि तुम्हें मक्खन खाना हो,तो मेरा छोटा सा काम भी करना पड़ेगा”
“क्या काम है?”
गोपी कहती हैं- “देखो! ‘मेरा वह पीढ़ा (पाटला) उठा लाओ”

जहाँ प्रेम होता है वहाँ संकोच नहीं होता। यह तो शुद्ध प्रेम-लीला है। कन्हैया जाते हैं और पीढ़ा उठाते हैं किन्तु भारी होने के कारण उसे उठा नहीं पाते। कन्हैया का अत्यंत कोमल शरीर है, फिर भी मक्खन के लोभवश वह पीढ़ा उठाने का प्रयत्न करते हैं, उठा कर लेकर चलते हैं। रास्ते में हाथ से छुट जाता है, वह पीढ़े सहित स्वयं भी गिर जाते हैं और उनका पीताम्बर भी खुल जाता है।

ज्ञानी पुरुष को ब्रह्म-साक्षात्कार होता है, फिर भी ज्ञानी पुरुष जब तक पंचभौतिक शारीर में होता है, तब तक माया का थोड़ा पर्दा होता ही है। उसे प्रारब्ध का कुछ भोग भोगना ही पड़ता है। माया यदि थोड़ी भी शेष होती है, तब भी प्रारब्ध भोगना ही पड़ता है।गोपियाँ निरावरण परमात्मा के दर्शन करती हैं। जहाँ अतिशय प्रेम होता है वहाँ पर्दा हट जाता है।

पीढ़ा गिरते ही कन्हैया रोने लगते है। गोपी दौड़कर आती है- “अरे लाला तुझे क्या हो गया? कैसे गिर गया… कहीं चोट तो नहीं लग गई?”
कन्हैया कहते हैं- “चोट तो नहीं लगी किन्तु मेरा पीताम्बर खुल गया है”
गोपी लाला को पीताम्बर पहनाती है। वास्तव में जहाँ ऐश्वर्य होता है, वहाँ पर्दा होता है। प्रेम में पर्दा नहीं होता।सच है प्रेम का सम्बन्ध ही सबसे ऊँचा है- “सबसे ऊँची प्रेम सगाई”



Kanhaiya goes to a Gopi’s house in Vraj and says to that Gopi – “Shall I have a little butter?” Gopi smiles slowly and says- “Look Lala, if you want to eat butter, then you will have to do a little work for me.” “what is the work?” Gopi says- “Look! ‘Take that pain (Patla) of mine’

Where there is love there is no hesitation. This is pure love-leela. Kanhaiya goes and bears the pain but being heavy cannot lift it. Kanhaiya has a very soft body, yet out of greed for butter, he tries to suffer, carries and carries. If he gets out of hand on the way, he himself along with the generation falls down and his Pitambar also opens.

The Gnani Purush gets Brahma-Sakshatkar, yet as long as the Gnani Purush is in the five physical body, there is a little veil of Maya. He has to suffer some enjoyment of destiny. Even if there is a little bit of Maya left, then also one has to suffer the destiny. Where there is great love, the veil is removed.

As soon as the pain falls, Kanhaiya starts crying. Gopi comes running- “Hey Lala, what happened to you? How did you fall… did you get hurt?” Kanhaiya says- “He was not hurt but my Pitambar has been opened”. Gopi makes Lala wear Pitambar. In fact, where there is opulence, there is a veil. There is no veil in love. It is true that the relationship of love is the highest – “The highest love engagement”

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