आधुनिक दौर में मन की शान्ति से बढ़कर इस दुनिया में कोई भी बड़ी दौलत नहीं है । आज इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि प्राणी के पास कितने लाखों करोड़ों हैं ।
फर्क इससे पड़ता है कि प्राणी के मानवीय जीवन में सुकून कितना है , चैन कितना है और सुख कितना है ।
लाखों करोड़ों होने के बाद भी अगर प्राणी के जीवन में सुकून नहीं , सुख नहीं और चैन नहीं तो वो समस्त लाखों करोड़ों का ढेर एक कूड़े के ढेर से ज्यादा कुछ भी नहीं ।
मैने अपने आज तलक के जीवन में प्रभु से और श्रीराधे से अपने लिए कभी भी धन दौलत की कामना नहीं की , बल्कि मैं तो रोजाना प्रभु और श्रीराधे के द्वार पर जाकर नतमस्तक होकर अपने दोनो हाथ उठाकर अपने हृदय मन से अपने अंतर्मन से बस हमेशा यही तीन शब्द बोलता हूं कि
हे प्रभु , हे राधेरानी
१ – अपनी दया बरसाए राखौ
२ – अपनी कृपा बरसाए राखौ
३ – अपनी छत्र छाया में सदा लिए राखौ
बस ये तीन शब्द बोलकर प्रभु और श्रीराधे के आगे सिर झुका बिना कुछ भी मांगे चुपचाप अपने घर निकल आता हूं ।
फिर प्रभु और श्रीराधे भी चक्कर में पड़ जाते हैं कि इसने मांगा भी कुछ नहीं और बिना मांगे सबकुछ मांग भी ले गया ।
बस फिर प्रभु और श्रीराधे की मेरे ऊपर निरंतर कृपा , दया और छ्त्र छाया अनवरत बरसती रहती है और जीवन नैया यूंही सहज सरल और सुगमता से चलती रहती है।
हां ये सच है कि मेरे पास ज्यादा दौलत नहीं है , लेकिन मेरे पास प्रभु और श्रीराधे की वो दिव्य कृपा है जिसके लिए आज के दौर में लाखों करोड़ों अरबों प्राणी इधर से उधर मारे मारे फिरते रहते हैं , लेकिन फिर भी उन्हें वो मिल नहीं पाती ।
मेरे पास चैन है , मेरे पास सुकून है और मेरे पास सुख है , मेरे पास प्रभु और श्रीराधे का आशीर्वाद है ।
अगर प्राणीमात्र ये चाहता हैं कि उसके पास सुख हो , चैन हो और सुकून हो तो समस्त ड्रामाबाजी छोड़कर , समस्त नौटंकी छोड़कर , समस्त छल कपट छोड़कर प्राणीमात्र को निश्चल भाव से दोनो हाथ उठाकर , नतमस्तक होकर अपने हृदय मन से , अपने अंतर्मन से शीघ्र अतिशीघ्र प्रभु और श्रीराधे की शरण में चले आना चाहिए … फिर सब कुछ अपने मिल जायेगा , कहीं भी भटकने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ।
Prbhu shren, pranimater sukh shanti sukun, प्राणीमात्र सुख चैन सुकून , नौटंकी छोड़कर , समस्त छल कपट, निश्चल भाव , नतमस्तक हृदय मन से , प्रभु श्रीराधे शरण
There is no greater wealth in this world than peace of mind in modern times. Today it does not matter how many millions and crores the creature has.
It makes a difference that how much is there in the human life of the creature, how much is there peace and how much is there happiness. Even after being millions of crores, if there is no peace, no happiness and no peace in the life of the creature, then all that heap of millions of crores is nothing more than a pile of garbage.
I have never wished for wealth and wealth for myself from GOD and from Shri Radhe in my life of divorce, rather I go to the door of Lord and Shri Radhe every day and bow down and raise both my hands with my heart and my heart. say three words
Oh Lord, O Radharani 1 – shower your mercy Rakho 2 – Rakho shower your grace 3 – Keep your umbrella in the shade forever
Just saying these three words, without bowing my head in front of GOD and Shri Radhe, I come out of my house silently without asking for anything.
Then GOD and Shri Radhe also get confused that even he asked for nothing and took everything without asking. Just then, the constant grace, mercy and umbrella shadow of Lord and Shri Radhe keeps raining on me continuously and the life cycle continues to run smoothly and smoothly.
Yes, it is true that I do not have much wealth, but I have that divine grace of Lord and Shri Radhe, for which in today’s era, millions of billions of creatures keep roaming here and there, but still they do not get it. .
I have peace, I have peace and I have happiness, I have the blessings of GOD and Sri Radhe.
If only a living being wants that he should have happiness, peace and peace, then leaving all the drama, leaving all the gimmicks, leaving all the deceit and deceit, raise both the hands of the creature calmly, bowing down with your heart, mind, with your conscience as soon as possible. One should come under the shelter of GOD and Shri Radhe… then everything will be found on its own, there will be no need to wander anywhere.
Prbhu shren, pranimater sukh shanti sukun, all living beings are happy, rest, except gimmicks, all deceit, deceitfulness, sincere heart, bowing down to the heart, Lord Shri Radhe Sharan