प्रभु से बात दिल की गहराई से की जाती है। आंखें आंसू तभी बहाती है। जब परमात्मा से सम्बंध बन जाता है। आंखें खुली हो और आंखे बन्द हो उससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है। परम पिता परमात्मा भाव पर रिझ जाते हैं। भगवान नाथ से उठते बैठते सोते जागते हुए बात करते हुए । जिन नैनो में भगवान समाए होते हैं। वहीं नैन ढूढते है प्रभु भगवान को
मै कई बार विनती करते हुए कहती हूं कि हे नाथ तेरे ये लीला मेरे समझ नहीं आती है कभी कभी तो तुम कहते हो कि मै हर चीज में व्यापक हूं। और जब मन्दिर जाती हूं तब तुम मुर्ति में बैठ कर बोलने लगते हों। तो कभी कभी ऐसा लगता है मानो ये मुर्ति नहीं तुम शरीर धारण करके खङे हुए मुझे अपना मनोहर रूप दिखाते हो, तो कभी ऐसे लगता है जैसे मेरे स्वामी भगवान् नाथ सिहासन पर से उठ कर मेरे पास आऐ है। मै पगली कुछ समझ भी नहीं पाती हू ।और तुम क्षण भर में ओझल हो जाते हो ।दिल आनंदीत होता है दिल पागल बन जाता है दिल में तङफ बढ जाती कि देख तुने आंख क्यो खोल दी।
तुने भगवान नाथ को दिल में बिठाया क्यो नहीं। बाहर क्या था ये सब भाव जब हम हर क्षण परमात्मा के ध्यान में रहते हैं तब सम्भव है अनेक भक्त हुए हैं जो सब तरह से जिम्मेदारी निभाते हुए भगवान को अन्तर्मन से भजते है। उनके आस पास राम ध्वनि बजती रहती है भक्त अन्तर्मन मे झांक कर देखता है तेरे अन्दर राम धुन अपने आप उजागर हो रही है या तु राम राम राम रट रहा है वह देखता है तु राम राम राम रट नहीं रहा है राम ध्वनि उजागर हो रही है जब भक्त में राम ध्वनि उजागर हो जाती है। तब नमन वन्दन स्तुति प्रार्थनाएँ भी अन्तर हृदय में प्रकट हो जाती है प्रार्थना आत्मचिंतन का मार्ग है जय श्री राम अनीता गर्ग
Talking to the Lord is done from the bottom of the heart. Then the eyes shed tears. When there is a relationship with God. It doesn’t matter if the eyes are open and the eyes are closed. The Supreme Father gets attracted to the Supreme Soul. Bhagwan talks to Nath while waking up while sleeping. God is contained in his nano. I pray many times and say that I do not understand this leela, O Nath, sometimes you say that I am comprehensive in everything and when I go to the temple, you sit in the idol and start speaking. So sometimes it seems as if this is not an idol, you show me your beautiful form while standing in the body, then sometimes it seems as if my lord Bhagwan Nath has come to me after rising from the throne. I can’t even understand anything mad. And you disappear in a moment. Heart rejoices, heart becomes mad Why didn’t you put Lord Nath in your heart? What was outside, all these feelings when we are in meditation of God every moment, then it is possible that there have been many devotees who worship God from the inner self, fulfilling all the responsibilities. Ram sound keeps playing around them. The devotee looks into the inner soul and sees that Ram tune is automatically being revealed in you or you are memorizing Ram Ram Ram, he sees that you are not memorizing Ram Ram Ram Ram sound is getting exposed. When the sound of Rama is revealed in the devotee. Then salutation and praise prayers also manifest in the inner heart, prayer is the way of self-contemplation Jai Shri Ram Anita Garg