हमने जीवन में परम पिता परमात्मा के साथ सच्चा सम्बन्ध बनाना है क्योंकि जो हमारा जन्म जन्मानतर का सम्बन्धीं है। उस परमात्मा से हमने पकी डोर नहीं बांधी हैं । परमात्मा का नाम मन ही मन में लेकर डोरी पर बट चढाने है। अन्तर्मन की डोरी बटने पर ही डोरी से प्रेम टपकेगा। जब परमात्मा के नाम की पुकार दिल से लगाऐगे तो दिल को भगवान् प्रेम तृप्ति त्याग और शान्ति से भर देगें। हमे एक सच्चा साथी मिल जाएगा ऐसा साथी जिसकी हमे जन्मो से तलाश थी। ये शरीर शरीर नहीं रहेगा परम पिता परमात्मा का धाम बन जाएगा। जो आनंद और प्रेम से परीपुरण होगा। हमारे अंदर परम पिता परमात्मा के साथ सम्बन्ध स्थापित कर देगा परमात्मा के साथ भाव का सम्बन्ध तु मेरा है मै तेरी हूं। तु मे आत्मा का परमात्मा से मिलन छिपा हुआ है। हम जब मन ही मन में परमात्मा के नाम का चिन्तन करने लगेगे तब एक दिन परम प्रभु हमारे सहायक बन जाएगे। परम प्रभु को ध्याते हुए हमें ध्वनि में नाम सुनने लगे। कपड़े धोते हुए बरूस से, चल रहे हैं चलते हुए, भोजन करते हुए हमें राम राम, परमात्मा परमात्मा सुनाई देने लगे। भगवान् भक्त के सहायक तभी बनते हैं जब हम परमात्मा को दिल में बिठा लेते हैं। भगवान भोग के नही प्रेम के भुखे हैं। मै सुबह चाय पीने लगती तब बाबा हनुमान जी से परमात्मा जी से प्रार्थना करती। मेरे प्रभु भगवान नाथ तुम सुबह से खङे खङे थक गए होंगे अनेक भक्त जन तुम्हारे दर्शन करने आए होगे मेरे भगवान् थोड़ी सी चाय तुम पीलो और इस दासी के दिल में थोङा विश्राम कर लो। हे परम पिता परमात्मा जी तुम मेरे नैंनौ मे समा जाओं। जय श्री राम परम पिता परमात्मा को प्रणाम है।
अनीता गर्ग
We have to make a true relationship with the Supreme Father, the Supreme Soul in life, because that is our relation from birth to birth. We have not tied a tight string to that God. By taking the name of God in your mind, you have to tie the knot on the string. Love will drip from the string only when the cord of the conscience is plucked. When you call on the name of God in your heart, then God will fill the heart with love, satisfaction, renunciation and peace. We will get a true partner, such a partner whom we were looking for since birth. This body will no longer remain the body and will become the abode of the Supreme Father, the Supreme Soul. One who will be filled with joy and love. In us, the Supreme Father will establish a relationship with the Supreme Soul, the relationship with the Supreme Soul, you are mine, I am yours. The union of the soul with the Supreme is hidden in you. When we start contemplating the name of God in our mind, then one day the Supreme Lord will become our helper. While meditating on the Supreme Lord, we started hearing the name in sound. While washing clothes, walking, walking, while eating, we started hearing Ram Ram, the Supreme Soul. The Lord becomes the helper of the devotee only when we take the Supreme Soul in our heart. God is not hungry for enjoyment but for love. When I started drinking tea in the morning, Baba would pray to Hanuman ji to God. My lord Bhagwan Nath, you must have been tired of standing standing since morning. O Supreme Father, Supreme Soul, you may be absorbed in my nine. Jai Shri Ram salute to the Supreme Father, the Supreme Soul. Anita Garg