हे वृषभानुराज-नन्दिनि ! हे अतुल प्रेम-रस-सुधा-निधान !
गाय चराता वन-वन भटकूँ, क्या समझूँ मैं प्रेम विधान ॥
ग्वाल-बालकों के सँग डोलूँ, खेलूँ सदा गँवारू खेल ।
प्रेम-सुधा सरिता तुमसे मुझ तप्त धूलका कैसा मेल ॥
तुम स्वामिनि अनुरागिणि ! जब देती हो प्रेमभरे दर्शन ।
तब अति सुख पाता मैं, मुझपर बढ़ता अमित तुम्हारा ऋण ॥
कैसे ऋणका शोध करूँ मैं, नित्य प्रेम-धनका कंगाल ।
तुम्हीं दया कर प्रेमदान दे, मुझको करती रहो निहाल ॥
श्री राधा के प्रति श्री कृष्ण के प्रेमोद्गार –
हे वृषभानु नंदिनी श्री राधा, हे अतुल-प्रेम-रस-सुधा निधान, मैं तो वन-वन भटकता हुआ गाय चराता हूँ, मैं प्रेम-विधान क्या जानूँ ?
मैं तो ग्वाल-बालकों के संग वन वन में डोलता रहता हूँ, सदैव गँवारों जैसा खेल खेलता हूँ । तुम प्रेम-सुधा की सरिता हो एवं मैं तप्त धुल, मेरा तुम्हारा कैसा मेल ?
हे स्वामिनी, तुम अनुरागिनी हो, जब मुझे अपने प्रेम-भरे दर्शन देती हो तब मैं अति सुख पता हूँ, मुझपर तुम्हारा अमित ऋण बढ़ जाता है ।
मैं इस ऋण को कैसे चुका पाऊंगा, मैं तो नित्य ही प्रेम-धन का कंगाल हूँ । तुमहिं मुझ पर दया कर प्रेमदान करती रहो, ऐसे ही मुझे निहाल करती रहो ।
Hey Vrishbhanuraj-Nandini! Oh Atul Prem-Ras-Sudha-Nidhan! I wander from forest to forest grazing cows, how can I understand the law of love ॥ I should dance with the cowherd boys, I should always play a dirty game. Prem-Sudha Sarita, what a match between you and me, the hot dust. You are mistress Anuragini! When you give loving darshan. Then I get immense happiness, your debt increases on me Amit. How can I research the debt, the pauper of daily love-wealth. You have mercy and give love, keep making me happy.
Premodod of Shri Krishna towards Shri Radha – O Vrishabhanu Nandini Shri Radha, O Atul-Prem-Ras-Sudha Nidhan, I am wandering in forest and forest grazing cows, how can I know the law of love?
I keep moving in the forest with the cowherd boys, I always play like a fool. You are the stream of love and happiness and I am hot dust, what kind of match do you have with me?
O Swamin, you are Anuragini, when you give me your love-filled darshan then I know great happiness, your immense debt increases on me.
How will I be able to repay this loan, I am always a pauper of love-wealth. You yourself have mercy on me and keep donating love, keep making me happy like this.