परमात्मा श्रीराम परम आनंद का स्वरुप हैं । जो श्रीराम से प्यार करता है ,उसका जीवन भी परम आनंद से भर जाता है । श्रीराम की प्रकृति ही आनंद है । तुमने प्रभु के जितने भी चित्र देखें हैं ,उनमे सबमे वे एक स्निग्ध मुस्कान बिखेरते हुए दर्शाए जाते हैं । बस एक मधुर सी मुस्कान । जो सुख चाहते हैं ,उन्हें दुःख भी मिलेगा । जो सम्मान चाहते हैं ,उन्हें अपमान भी मिलेगा । पर जो इन द्वन्दों से ऊपर उठ चुका है , उसने वास्तव में आनंद को पा लिया है । उस आनंद का कोई विलोम नही है । वो आनंद कभी ख़त्म नही होता । क्योंकि वो आनंद अविनाशी श्रीराम से प्राप्त होता है ।
राम जी का समस्त स्वरुप आनंदमय है । श्रीराम जी के हाथों में आनंद है ,पैरों में आनंद है ,मुख में आनंद है । उनका एक एक श्रीअंग आनंद से भरा हुआ है । आनंद के अलावा श्रीराम जी के स्वरुप में दूसरा कुछ है ही नही ।
Paramatma Shri Ram is the embodiment of supreme bliss. One who loves Shri Ram, his life is also filled with supreme bliss. The nature of Shri Ram is bliss. In all the pictures of GOD that you have seen, He is shown spreading an indelible smile. Just a sweet smile. Those who want happiness will also get sorrow. Those who want respect, they will also get humiliation. But one who has risen above these conflicts has actually found bliss. There is no reverse to that joy. That joy never ends. Because that bliss comes from the imperishable Shri Ram.