पत्थर का भाग्य राम बने
ये पत्थर 6 करोड़ साल पुराने है…..हो सकता है ये पत्थर 6 करोड़ साल से अभिशप्त हो और मुक्ति के
ये पत्थर 6 करोड़ साल पुराने है…..हो सकता है ये पत्थर 6 करोड़ साल से अभिशप्त हो और मुक्ति के
एक बार महाराज दशरथ राम आदी के साथ गंगा स्नान के लिये जा रहे थे । मार्गमें देवर्षि नारदजी से
हनुमान जी को भगवान सदा अपने पास बैठाते है ; क्यों ? क्योंकि हनुमान जी ने तीन काम किये और
नेपाल के काली गंड़की नदी से प्राप्त 2 ठो शालीग्राम सिला पथर से ही अयोध्या में निर्माण हो रहें श्री
.श्री नर्मदा किनारे एक उच्च कोटि के संत विराजते थे जिनका नाम श्री वंशीदास ब्रह्मचारी जी था।.उनका नित्य का नियम
.श्रीराम का वनवास ख़त्म हो चुका था..एक बार श्रीराम ब्राम्हणों को भोजन करा रहे थे तभी भगवान शिव ब्राम्हण वेश
श्री राधा कितना सुंदर भाव है प्रेम ॥संसार में प्रेम को सर्वाधिक मधुर भावना माना जाता है ॥ जबकी संसार
एक गांव में गरीब ब्राह्मण था।।उसे अपनी कन्या का विवाह करना था।। उसने विचार किया कि राम कथा करने से
दीख जाइ उपबन बर सर बिगसित बहु कंज।मंदिर एक रुचिर तहँ बैठि नारि तप पुंज।। अर्थ-अंदर जाकर उन्होंने एक उत्तम
समुद्रतट पर एक व्यक्ति चिंतातुर बैठा था, इतने में उधर से विभीषण निकले।.उन्होंने उस चिंतातुर व्यक्ति से पूछाः क्यों भाई