हिमालय की पुत्री पार्वती ओर गंगा

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हरि ॐ तत्सत

कठोर तप पार्वती शिव प्राप्त, श्रृद्धा पार्वती विस्वास शिव, ज्ञान गंगा को शिव जी अपने मस्तक,यानी अपनी जटाओं में धारण करते हैं।

हिमालय की पुत्री पार्वती ओर गंगा
दोनों की उत्पत्ति हिमालय से हुई
हिमालय आखिर है तो पर्वत
पर्वत का स्वभाव कठोर,और दृढ़ चट्टान की तरह स्थिरता
इसलिए
गंगा और पार्वती ने,शिव की प्राप्ती के लिए दृढ़ चट्टान की तरह कठोर तप किया
दोनों ही जिद्दी स्वभाव की थी
दोनों के मन में शिव को वर बनाने की कामना थीं
इसलिए
दोनों ने दृढ़ चट्टान की तरह कठोर तप किया
कठोर तप से पार्वती ने शिव को प्राप्त किया
तब पार्वती ने अपनी बहन गंगा से कहा,
कि
वास्तव में मैं ही शिव की अर्धांगिनी हूं तू तो आकाश में आकाश गंगा बनकर घुमती रहेगी
बाद में तू इस संसार के इस मृत्युलोक में आकर बहेगी
तब गंगा ने कहा कोई बात नहीं मैं लोगों के उद्धार के लिए मृत्यु लोक में अवतरित होउंगी
पर मेरा वास स्थान तो तेरे से भी ऊंचा रहेगा
मैं तो शिव के मस्तक का श्रृंगार मन कर रहूंगी
शिव मुझे अपने मस्तक पर धारण करेंगे
तब मेरा सम्मान तुमसे भी अधिक होगा
जगत में मैं पुजनिय होउंगी
दरअसल गंगा क्या है? गंगा ही भगति है।बिना भगति के हम ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर सकते ज्ञान ही वो आकाश गंगा है,जो संतों के सिर से सरयू नदी बनकर बह निकलती है।
उसी ज्ञान गंगा को शिव जी अपने मस्तक,यानी अपनी जटाओं में धारण करते हैं।
उन्हीं जटाओं से तीन धाराएं निकलती है। गंगा, यमुना और सरस्वती
उसी ज्ञान की गंगा जब संतों की वाणी पर आती है तब उस वाणी पर सरस्वती विराजमान हो जाती है।और उस ज्ञान की गंगा का स्वागत करती है।
वो संतों की वाणी पर विराजमान होकर ज्ञान का प्रचार करती है।
यही तीनों नदियां एकाकार होकर त्रिवेणी संगम कहलाती है।
जहां ये तीनों धाराएं मिलती है तभी कुंभ मेला लगता है।
यानी इसी शरीर रूपी कुंभ में आत्मा से परमात्मा का मेल होता है।
यही मेला हैं।
इसलिए
बिना श्रृद्धा विस्वास के भगति नहीं
श्रृद्धा पार्वती ओर विस्वास ही शिव है। जब ये दोनों दृढ़ चट्टान की तरह स्थित होकर तप करते हैं।तभी वैराग्य प्राप्त होता है।
तो बिना श्रृद्धा के भक्ति नही भक्ति बिना वैराग्य नहीं, वैराग्य बिना ज्ञान नहीं,ज्ञान बिना मुक्ति नहीं,और बिना मुक्ति के परमात्मा की प्राप्ती नहीं
इसलिए
सब एक के साथ एक से जुड़े हैं।



Hari Om Tatsat

Parvati Shiva attains severe penance, revered Parvati has faith Shiva, Lord Shiva holds the Ganges of knowledge in his head, that is, in his hair.

Parvati and Ganga, daughter of Himalaya Both originated from the Himalayas Himalaya is after all then mountain The nature of a mountain is hard, and firm as a rock So Ganga and Parvati did hard penance like a hard rock to attain Shiva both were stubborn Both had the desire to make Shiva a bridegroom. So Both did penance hard like a hard rock Parvati attained Shiva through severe penance Then Parvati said to her sister Ganga, That In fact, I am the consort of Shiva, you will continue to roam in the sky as the Ganges. Later you will come and flow in this world of death Then Ganga said no problem, I will incarnate in the world of death for the salvation of the people. But my abode will be higher than you I would like to adorn the head of Shiva. Shiva will wear me on his head then my respect will be more than you I will be a priest in the world What exactly is Ganga? Ganga is bhagati. We cannot attain knowledge without bhagati. Knowledge is the sky Ganga, which flows out from the heads of saints in the form of river Saryu. Lord Shiva wears the same Ganga of knowledge in his head, that is, in his hair. Three streams come out of those hairs. Ganga, Yamuna and Saraswati When the Ganges of the same knowledge comes on the voice of the saints, then Saraswati sits on that voice. And welcomes the Ganges of that knowledge. She propagates knowledge by sitting on the voice of the saints. These three rivers unite and are called Triveni Sangam. Where these three streams meet, then Kumbh Mela takes place. That is, in the Kumbh of this body, there is a union of God with the soul. This is the fair. So No devotion without faith Faith is Parvati and faith is Shiva. When both of them do penance standing like a hard rock. Only then one attains detachment. So without devotion there is no devotion without devotion, without dispassion, without dispassion there is no knowledge, without knowledge there is no liberation, and without liberation there is no attainment of God. So All are connected with one another.

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