।। ॐ सूर्याय नमः ।।
सूर्यदेव यानि कलयुग के एकमात्र दृश्यदेव, जिन्हें ग्रहों का राजा भी माना गया है। वहीं आदि पंचदेवों में भी इनका स्थान है। हिंंदूधर्म में सूर्यदेव का विशेष महत्व माना जाता है।
सूर्यदेव की पूजा करने से लोगों के जीवन में शांति बनी रहती है और कुछ लोग तो सुबह-सुबह उठकर रोजाना सूर्य नमस्कार भी करते हैं इसके साथ-साथ सूर्य को जल भी देतें हैं।
भगवान सूर्य की उपासना का उल्लेख वैदिक काल से मिलता है। सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा और ईश्वर का नेत्र बताया गया है। सूर्य को जीवन, स्वास्थ्य और शक्ति के देवता के रूप में मान्यता हैं। मान्यता के अनुसार सूर्यदेव की साधना से न सिर्फ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, बल्कि आरोग्य भी प्राप्त होता है। सूर्य को किए जाने वाले नमस्कार को सर्वांग व्यायाम कहा जाता है।
श्रीसूर्य मंत्र-
आ कृष्णेन् रजसा वर्तमानो निवेशयत्र अमतं मर्त्य च।
हिरणययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन।।
सूर्यदेव की कृपा से ही पृथ्वी पर जीवन बरकरार है। ऋषि-मुनियों ने उदय होते हुए सूर्य को ज्ञान रूपी ईश्वर बताते हुए सूर्य की साधना-आराधना को अत्यंत कल्याणकारी बताया है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य की उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। जिनकी साधना स्वयं प्रभु श्रीराम ने भी की थी। विदित हो कि प्रभु श्रीराम के पूर्वज भी सूर्यवंशी थे। भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग दूर कर पाए थे।
सूर्य अर्घ्य मंत्र-
ॐ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ॐ सूर्याय नम:।
ॐ आदित्याय नम:।
ॐ नमो भास्कराय नम:।
अर्घ्य समर्पयामि।।
मान्यता है कि भगवान दिवाकर यानी सूर्यदेव की साधना-आराधना का अक्षय फल मिलता है। सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर अपने भक्तों को सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
ज्योतिष के अनुसार सूर्य को नवग्रहों में प्रथम ग्रह और पिता के भाव कर्म का स्वामी माना गया है। जीवन से जुड़े तमाम दुखों और रोग आदि को दूर करने के साथ-साथ जिन्हें संतान नहीं होती उन्हें सूर्य साधना से लाभ होता हैं। पिता-पुत्र के संबंधों में विशेष लाभ के लिए सूर्य साधना पुत्र को करनी चाहिए।
सूर्य बीज मंत्र-
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:।
सूर्य जाप मंत्र-
ॐ सूर्याय नम:।
ॐ भास्कराय नम:।
ऊं रवये नम:।
ऊं मित्राय नम:।
ॐ भानवे नम:।
ॐ खगय नम:।
ॐ पुष्णे नम:।
ॐ मारिचाये नम:।
ॐ आदित्याय नम:।
ॐ सावित्रे नम:।
ॐ आर्काय नम:।
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:।
वैदिक काल से ही भारत में सूर्य की पूजा का प्रचलन रहा है। पहले यह साधना मंत्रों के माध्यम से हुआ करती थी लेकिन बाद में उनकी मूर्तिपूजा भी प्रारंभ हो गई। जिसके बाद तमाम जगह पर उनके भव्य मंदिर बनवाए गए।
प्राचीन काल में बने भगवान सूर्य के अनेक मन्दिर आज भी भारत में हैं। सूर्य की साधना-अराधना से जुड़े प्रमुख प्राचीन मंदिरों में कोणार्क, कटारमल, मार्तंड और मोढ़ेरा आदि हैं।
सूर्य ध्यान मंत्र-
ध्येय सदा सविष्तृ मंडल मध्यवर्ती
नारायण: सर सिंजासन सन्नि: विष्ठ:।
केयूरवान्मकर कुण्डलवान किरीटी
हारी हिरण्यमय वपुधृत शंख चक्र।।
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाधुतिम्।
तमोहरि सर्वपापध्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।।
सूर्यस्य पश्य श्रेमाणं योन तन्द्रयते।
चरश्चरैवेति चरेवेति!
सनातन परंपरा में प्रत्यक्ष देवता सूर्य की साधना-उपासना शीघ्र ही फल देने वाली मानी गई है। सूर्यदेव की पूजा के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके पश्चात् उगते हुए सूर्य का दर्शन करते हुए उन्हें ॐ घृणि सूर्याय नम: कहते हुए जल अर्पित करें। सूर्य को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें। सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात्प लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य के मंत्र का कम से कम १०८ बार जप करें।
रविवार के दिन श्री सूर्यदेव की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं। हमारे जीवन में सूर्यदेव के द्वारा बहुत ही महत्तवपूर्ण लाभ होते हैं। उनसे हमें धूप मिलती है और साथ ही साथ रोशनी भी। ऐसा माना जाता है कि सुबह-सुबह घर में अगर सूर्यदेव की आरती चलती है तो घर में खुशहाली आती है।
सूर्य की दिन के तीन प्रहर की साधना विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।
प्रातःकाल के समय सूर्य की साधना से आरोग्य की प्राप्ति होती है।
दोपहर के समय की साधना साधक को मान-सम्मान में वृद्धि कराती है।
संध्या के समय की विशेष रूप से की जाने वाली सूर्य की साधना सौभाग्य को जगाती है और संपन्नता लाती है।
सूर्य नमस्कार के मंत्र-
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ भास्कराय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ मित्राय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगय नमः।
ॐ पुष्णे नमः।
ॐ मारिचाये नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सावित्रे नमः।
ॐ आर्काय नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
- श्रीसूर्यदेव की आरती *
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान…।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।। ॐ नमो भगवते सूर्यदेवाय ।।
।। Om Suryaaya Namah ।।
Suryadev i.e. the only visible God of Kalyug, who is also considered as the king of the planets. At the same time, he has a place in Adi Panchadev too. Suryadev is considered to have special importance in Hinduism.
Worshiping the Sun God keeps peace in people’s lives and some people wake up early in the morning and do Surya Namaskar daily, along with this they also give water to the Sun.
The worship of Lord Surya is mentioned from the Vedic period. Sun has been described in the Vedas as the soul of the world and the eye of God. Surya is recognized as the god of life, health and strength. According to the belief, not only happiness and prosperity is attained by worshiping the Sun God, but health is also attained. Namaskar done to the Sun is called Sarvaang Vyayam.
Shree Surya Mantra-
A dwelling in the darkness of Rajas, he placed there the uncontrolled and the mortal.
The sun, the god, travels the worlds in a golden chariot, seeing.
Life on earth remains intact only by the grace of Sun God. Describing the rising sun as the God of knowledge, sages and sages have described the practice and worship of the sun as extremely beneficial. The worship of the visible deity Surya is considered to give quick results. Whose meditation was also done by Lord Shriram himself. It should be known that the ancestors of Lord Shriram were also Suryavanshi. Samb, the son of Lord Krishna, was also able to cure leprosy by worshiping the Sun.
Surya Arghya Mantra-
Om Aihi Suryadeva Sahasransho Tejo Rashi Jagatpate.
O half-sun have mercy on me and accept me with devotion.
OM SURYAAYA NAMAH.
ॐ Adityaaya Namah.
OM NAMAH BHASKARAAYA NAMAH.
I offer arghya.
It is believed that worshiping and worshiping Lord Diwakar i.e. Sun God gives inexhaustible fruit. Being pleased with the sadhna done with a true heart, Lord Bhaskar blesses his devotees with happiness, prosperity and good health.
According to astrology, the Sun is considered the first planet among the nine planets and the lord of the father’s actions. Along with removing all the sorrows and diseases related to life, those who do not have children, they are benefited by Surya Sadhana. For special benefits in the father-son relationship, the son should do Surya Sadhana.
Surya Beej Mantra-
Ome Hram Hrim Hraum Sa: Ome to the Sun.
Sun chanting mantra-
OM SURYAAYA NAMAH.
ॐ Bhaskaraaya Namah.
OM RAVAYE NAMAH.
OM MITRAAYA NAMAH.
ॐ Bhanave Namah.
ॐ Khagaya Namah.
ॐ Pushne Namah.
ॐ Marichaye Namah.
ॐ Adityaaya Namah.
ॐ Savitree Namah.
ॐ Arkaya Namah.
ॐ Hiranyagarbhaya Namah.
Sun worship has been prevalent in India since the Vedic period. Earlier this sadhana used to be done through mantras but later their idol worship also started. After which his grand temples were built at all places.
Many temples of Lord Surya built in ancient times are still in India today. Konark, Katarmal, Martand and Modhera etc. are among the major ancient temples associated with worship and worship of the Sun.
Sun Meditation Mantra-
The goal is always the intermediate of the Savishtra Mandala
Narayana: Sir Sinjasana Sanni: Vishta:.
Keyuravanmakara kundalavan kiriti
Hari golden body bearing conch and wheel.
This Kasyapa, resembling the flower of Japa, is very clean.
I bow to the sun who dispels darkness and destroys all sins.
Look at the sun’s labor, the vagina is lazy.
Characharaiveti Chareveti!
In the Sanatan tradition, worshiping and worshiping the visible deity Surya is considered to be fruitful soon. To worship the Sun God, get up before sunrise and take a bath. After this, while seeing the rising sun, offer water to him saying Om Ghrini Suryaya Namah. Mix red roli, red flowers in the water given to the Sun and give it water. After offering arghya to the sun, chant the mantra of the sun at least 108 times by sitting in a red posture and facing the east.
There are many benefits of worshiping Shri Suryadev on Sunday. Suryadev has very important benefits in our life. We get sunlight from them as well as light. It is believed that if the Aarti of Sun God is performed in the house early in the morning, then there will be prosperity in the house.
The worship of the sun during the three hours of the day is considered especially fruitful.
In the early morning, worship of the Sun brings health.
Sadhana in the afternoon increases the honor and respect of the seeker.
Surya Sadhana, especially done in the evening, awakens good fortune and brings prosperity.
Mantras of Surya Namaskar-
ॐ Suryaaya Namah.
ॐ Bhaskaraaya Namah।
ॐ Ravaya Namah.
ॐ Mitra Namah.
ॐ Bhanave Namah.
ॐ Khagaya Namah.
ॐ Pushne Namah.
ॐ Marichaye Namah.
ॐ Adityaaya Namah.
ॐ Savitree Namah.
ॐ Arkaya Namah.
ॐ Hiranyagarbhaya Namah।
Aarti of Sri Suryadeo*
Om Hail Sun God, Hail Dinkar God.
You are the form of the eyes of the world, you are the triple form.
Earth is all about meditation, Om Jai Surya Bhagwan.
Om Jai Surya Bhagwan….
Lord you are the charioteer Arun, the white lotus bearer. You have four arms.
You have seven horses, spread crores of rays. You are great god.
Om Jai Surya Bhagwan….
When you come to Udayachal in the morning. Everyone would get darshan then.
Spreading light, then the whole world wakes up. Everyone should praise then.
Om Jai Surya Bhagwan….
In the evening, go to Bhubaneswar Astachal. Godhan would come home then.
At dusk, in every house in every courtyard. Ho then praise.
Om Jai Surya Bhagwan….
Dev-Danuj male-female, Rishi-Munivar worship. Aditya chants the heart.
This hymn is auspicious, its composition is unique. Give new life.
Om Jai Surya Bhagwan….
You are the Creator of Trikaal, you are the support of the world. Glory then limitless.
By irrigating their lives, they give their own to the devotees. Strength, intelligence and knowledge.
Om Jai Surya Bhagwan….
Bhuchar Jalchar Khechr, you are everyone’s life. You are the soul of all living beings.
Telling Vedas and Puranas, all religions should follow you. You are the Almighty.
Om Jai Surya Bhagwan….
Dishas worshiping, worshiping Dash Dikpal. You are the guardian of the worlds.
The seasons are your maids, you are the eternal imperishable. Good luck Anshuman.
Om Jai Surya Bhagwan….
Om Hail Sun God, Hail Dinkar God.
You are the form of the eyes of the world, you are the triple form.
Earth is all about meditation, Om Jai Surya Bhagwan.
।। Om Namo Bhagavate Suryadevaya.