
।। सूर्य नमस्कार ।।
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते।। जो मनुष्य सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करते है उनकी
आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते।। जो मनुष्य सूर्य नमस्कार प्रतिदिन करते है उनकी
एक ब्राम्हण था ,वह सूरज भगवान का भक्त था. नहाता,धोता,कहानी कहता था पर कमाता कुछ भी नहीं था. ब्राम्हण घर
जो भी साधक हर रोज उगते सूर्य के सामने बैठकर भगवान सूर्य की इस स्तुति का पाठ अर्थ सहित करता