हम सभी ने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के कई चित्र देखें हैं। अनेक चित्रों में भगवान विष्णु को बीच समुद्र में शेषनाग के ऊपर लेटे और माता लक्ष्मी को उनके चरण दबाते हुए दिखाया जाता है।
माता लक्ष्मी यूं तो धन की देवी हैं तो भी वे भगवान विष्णु के चरणों में ही निवास करती हैं ऐसा क्यों? इसका कारण हैं कि भगवान विष्णु कर्म व पुरुषार्थ का प्रतीक हैं और माता लक्ष्मी उन्हीं के यहां निवास करती हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटते और कर्म व अपने पुरुषार्थ के बल पर विजय प्राप्त करते हैं जैसे कि भगवान विष्णु।
हर व्यक्ति देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए कई तरह के जतन करता है। जिसे धन प्राप्त नहीं होता वह भाग्य को दोष देता है। जो ईमानदारी और कड़ी मेहनत से कर्म करता है, उससे धन की देवी लक्ष्मी सदैव प्रसन्न रहती हैं और सदैव पैसों की बारिश करती हैं। इसी वजह से कहा जाता है कि महालक्ष्मी व्यक्ति के भाग्य से नहीं कर्म से प्रसन्न होती हैं।
महालक्ष्मी सदैव भगवान विष्णु की सेवा में लगी रहती हैं, शास्त्रों में जहां-जहां विष्णु और लक्ष्मी का उल्लेख आता है वहां लक्ष्मी श्री हरि के चरण दबाते हुए ही बताई गई हैं। विष्णु ने उन्हें अपने पुरुषार्थ के बल पर ही वश में कर रखा है। लक्ष्मी उन्हीं के वश में रहती है जो हमेशा सभी के कल्याण का भाव रखता हो। समय-समय पर भगवान विष्णु ने जगत के कल्याण के लिए जन्म लिए और देवता तथा मनुष्यों को सुखी किया। विष्णु का स्वभाव हर तरह की मोह-माया से परे है। वे दूसरों को मोह में डालने वाले हैं। समुद्र मंथन के समय उन्होंने देवताओं को अमृत पान कराने के लिए असुरों को मोहिनी रूप धारण करके सौंदर्य जाल में फंसाकर मोह में डाल दिया। मंथन के समय ही लक्ष्मी भी प्रकट हुईं। देवी लक्ष्मी को प्राप्त करने के लिए देवता और असुरों में घमासान लड़ाई हुई। भगवान विष्णु ने लक्ष्मी का वरण किया। लक्ष्मी का स्वभाव चंचल है, उन्हें एक स्थान पर रोक पाना असंभव है। फिर भी वे भगवान विष्णु के चरणों में ही रहती है।
जब भी अधर्म बढ़ता है तब-तब भगवान विष्णु अवतार लेकर अधर्मियों का नाश करते हैं और कर्म का महत्व दुनिया को समझाते हैं। इसका सीधा-सा अर्थ यह है कि केवल भाग्य पर निर्भर रहने से लक्ष्मी (पैसा) नहीं मिलता।धन के लिए कर्म करने की आवश्यकता पड़ती है, साथ ही हर विपरीत परिस्थिति से लड़ने का साहस भी आपने होना चाहिए। तभी लक्ष्मी आपके घर में निवास करेगी।
जो व्यक्ति लक्ष्मी के चंचल और मोह जाल में फंस जाता है लक्ष्मी उसे छोड़ देती है। जो व्यक्ति भाग्य को अधिक महत्व देता है और कर्म को तुच्छ समझता है, लक्ष्मी उसे छोड़ देती हैं। विष्णु के पास जो लक्ष्मी हैं वह धन और सम्पत्ति है। भगवान श्री हरि उसका उचित उपयोग जानते हैं। इसी वजह से महालक्ष्मी श्री विष्णु के पैरों में रहती हैं।
|| लक्ष्मी नारायण भगवान की जय हो ||
We all have seen many pictures of Lord Vishnu and Mother Lakshmi. In many paintings, Lord Vishnu is shown lying on Sheshnag in the middle of the sea and Mother Lakshmi is shown pressing his feet.
Mata Lakshmi is the goddess of wealth, yet she resides at the feet of Lord Vishnu, why so? The reason for this is that Lord Vishnu is the symbol of Karma and Purusharth and Mata Lakshmi resides only in those who do not back down even in adverse circumstances and get victory on the strength of Karma and their Purusharth like Lord Vishnu.
Every person does many types of rituals to get the blessings of Goddess Lakshmi. One who does not get money blames luck. One who works with honesty and hard work, Goddess of wealth Lakshmi is always pleased with him and always showers money. For this reason, it is said that Mahalakshmi is pleased not by the fate of a person but by his deeds.
Mahalakshmi is always engaged in the service of Lord Vishnu, wherever Vishnu and Lakshmi are mentioned in the scriptures, Lakshmi has been described pressing the feet of Sri Hari. Vishnu has kept him under control only on the strength of his effort. Lakshmi remains in the control of only those who always have a sense of welfare of all. From time to time Lord Vishnu took birth for the welfare of the world and made deities and humans happy. Vishnu’s nature is beyond all kinds of illusion. They are going to bewitch others. At the time of the churning of the ocean, in order to make the deities drink nectar, they disguised themselves as Mohini and enticed the demons by trapping them in beauty’s trap. Lakshmi also appeared at the time of churning. There was a fierce fight between the Devas and the Asuras to get Goddess Lakshmi. Lord Vishnu married Lakshmi. Lakshmi’s nature is fickle, it is impossible to stop her at one place. Still she remains at the feet of Lord Vishnu.
Whenever unrighteousness increases, then Lord Vishnu incarnates and destroys the unrighteous and explains the importance of karma to the world. Its simple meaning is that Lakshmi (money) is not attained by relying only on luck. It is necessary to work for wealth, as well as you should have the courage to fight against every adverse situation. Only then Lakshmi will reside in your house.
The person who gets trapped in the fickle and infatuated trap of Lakshmi, Lakshmi leaves him. Lakshmi leaves the person who gives more importance to luck and underestimates karma. The Lakshmi that Vishnu has is wealth and property. Lord Shri Hari knows its proper use. For this reason, Mahalakshmi resides at the feet of Shri Vishnu.
, Hail Lord Lakshmi Narayan ||