भंगिया में डूब गए हो सुध विसराओ भोला जी,
मैं थक गई भंगियाँ पीसत हाथ दुखायो भोला जी
भंगिया में डूब गए …
मेवा मिश्री आप के मन को जाने क्यों नही भाते
कंध मूल और फल से क्यों नही अपना भूख नही मिटाते
क्यों बेल की पतियाँ तेरे मन को भायो भोला जी
भंगिया में डूब गए …
देवो में तुम महादेव हो फिर क्यों एसा करते
नशा नास कर देता सब कुछ भोले क्यों नही डरते
अब पूजा बिन पी कर पी मानव जाओ भोला जी
भंगिया में डूब गए …
Sudh Visrao Bhola ji, who has drowned in Bhangia,
I am tired bhangiyas grind hath sadhayo bhola ji
drowned in the bhangiya …
Why don’t you like dry fruits and sugar candy?
Why don’t you satisfy your hunger with root and fruit?
Why do the husbands of the vine love your mind, Bhola ji?
drowned in the bhangiya …
You are Mahadev among the gods, then why do you do this?
Intoxication destroys everything, why are not the innocent afraid?
Now go human by drinking without worshiping, Bhola ji
drowned in the bhangiya …