जब भी दुःख आता है तो शिरडी में आ जाते है लोग,
बिना दवा के मेरे साई मिटा ते है रोग,
टूटी मस्जिद थी वहाँ जिसमे वो रहने लगा,
बैठ ता कोने में धुनि रमता ही रहा,
देख दुनिया की ये हालत को जो बन जाते है यो,
बिना दवा के मेरे साई मिटा ते है रोग,
जब हुई धर्म की हानि तब ये अवतार हुआ,
कोई न जाने इसे कौन है माता पिता,
धुनि रमता ही रहा मिटने लगे लाखो के रोग,
बिना दवा के मेरे साई मिटा ते है रोग,
ईट मसिजद में गिरी बाबा रोने ही लगे,
कर्म की फुट गया दिल भिखरने ही लगे,
लौट कर आएंगे मेरे बाबा ये कह जाते है लोग,
बिना दवा के मेरे साई मिटा ते है रोग,
Whenever sorrow comes, people come to Shirdi,
Without medicine my sai erases the disease,
There was a broken mosque in which he started living,
Sitting in the corner, the melody kept on playing,
Look at this condition of the world, who become yo,
Without medicine my sai erases the disease,
When there was loss of religion, then this incarnation took place.
No one knows who is this parent,
The diseases of millions started to fade away.
Without medicine my sai erases the disease,
Baba who fell in the brick mosque started crying.
The heart that broke away from karma started begging,
My baba will come back, people say this,
Without medicine my sai erases the disease,