जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी,तेरे सिर पे त्रिलौकी नाथ हैं,

जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी,तेरे सिर पे त्रिलौकी नाथ हैं,

छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से,

आज यमुना की ये पुकार है,

जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी,

तेरे सिर पे त्रिलौकी नाथ हैं,

छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से,

आज यमुना की ये पुकार है।

धरती पर जब संकट आवे,

मानव तारनहार आऊंगा,

युग युग में अवतार लुंगा,

अपना वचन निभाऊंगा,

ये वादा मुझे भी याद है,

देखो आए निभाने दीनानाथ है।

छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से,

आज यमुना की ये पुकार है,

जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी

राम बने गंगा तट लाँघे,

मारे थे अत्याचारी,

आज ये मुझको पार करेंगे,

मैं हूँ इनका आभारी,

मेरी बूँद बूँद हरषात है,

छाई काली घटा बरसात है,

छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से,

आज यमुना की ये पुकार है,

जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी।

यमुना जी का धीरज छुटा,

उमड़ घुमड़ कर आई है,

प्रभु ने चरण बढ़ाये आगे,

यमुना जी हरषाई है,

चरणों को लगाइ लीन्हो माथ है,प्रभु चुपके से धर दीनो हाथ है,

छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से,

आज यमुना की ये पुकार है,

जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी….

छुंलिये सांवरे के चरणों को,

मन ही मन में नमन किया,

गोद में ले प्रभु को वासुदेव जी गोकुल पहुँचे,

खुद ही रस्ता बना दिया,

अब जग में हुई प्रभात है, डरने की ना कोई बात है,

छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से,

आज यमुना की ये पुकार है,

जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी,

तेरे सिर पे त्रिलौकी नाथ हैं,

छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से,

आज यमुना की ये पुकार है

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