बड़ो ही प्यारो नटखट नन्द लाल है,
लड्डू गोपाल मेरो लड्डू गोपाल है,
लोरी से सुलाती हु लोरी से उठाती हु,
निकल जाये हाथो से जब नहलाती हु,
कलियों से कोमल रसीला रस दार है,
लड्डू गोपाल मेरो लड्डू गोपाल है,बड़ो ही प्यारो नटखट नन्द लाल है,
कर के शृंगार इसे लाड लड़ाती हु ,
माखन मिश्री का भोग लगाती हु,
पलना में झूम झूम होता निहाल है,
गोल मतलो लाल लाल बाल है,
नैन रंगीले या के घुंगराले बाल है,
लाल गुलाबी होठ रूप रसाल है,
लड्डू गोपाल मेरो लड्डू गोपाल है,
बड़ो ही प्यारो नटखट नन्द लाल है,
लड्डू गोपाल सो अट्टु मेरा नाता है,
जाऊ मैं जंहा यह साथ साथ जाता है,
सुन सुरताल नाच उठता गोपाल है,
लड्डू गोपाल मेरो लड्डू गोपाल,बड़ो ही प्यारो नटखट नन्द लाल है,
बड़ो ही प्यारो नटखट नन्द लाल है,
लड्डू गोपाल मेरो लड्डू गोपाल है,
![IMG 20220819 WA0029](https://bhagvanbhakti.com/wp-content/uploads/2022/08/IMG-20220819-WA0029.jpg)
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