सत्गुराजी से ध्यान लगा आ…आ…आ…आ
रे मनवा क्यो फिरता विषयो मे वीषयो मे
सभी इंद्रियों को तू सम करले, इष्ट ध्यान हृदय में धरले
वहां पर सुरता आन लगा-आन लगा
गगन मंडल में बाजा बाजे,राग छत्तीसो धुन में गाजे
बंक नाल को तू चढ जा-तू चढ जा
दाता ध्यान एक देकर आसन, प्राणायाम कर दृढ सिंहासन
सुनकर आनंद तू हर्षा-तू हर्षा
अधर धार एक मूरत दरसे,ज्वाला कहे कोई हरिजन परसे
बूंद समंन्द मे तू मिल जा- तू मिल जा
सतगुरा जी से ध्यान लगा रे मनवा क्यों फिरता विषयो में
प्रेषक- नरेंद्र बैरवा (नरसी भगत )
रमेशदास उदासी ग्रुप
गंगापुर सिटी।
Satguruji meditated aa…aa…aa…
Why do you move around in subjects?
You equalize all the senses, keep the favored meditation in the heart
There, the sound came on.
Baja Baja in Gagan Mandal, sang in Raag Chattiso tune
You climb the bunk canal – you go up
Giver meditation by giving one posture, doing pranayama and making a firm throne
Hearing the joy, you harsha-tu harsha
The edge is like an idol, some Harijan says the flame
You meet me in the drop of water – you will meet
Satgura ji meditated, why did he wander in the subjects?
From- Narendra Bairwa (Narsi Bhagat)
Rameshdas Udasi Group
Gangapur City.