हे प्रभु हे शिव हे हे महादेव अजन्मा अनादि आपको आप को मेरा नमस्कार हैं नमस्कार है ‘नमस्कार हैं ।
जो शांत स्वरूप हैं कमल के आसन पर विराजमान है मस्तक पर चंद्रमा का मुकुट धारण करने वाले हैं जिनके पाँच मुख है तीन नेत्र हैं जो अपने दहिने भाग की भुजाओं में शूल वर्ज खड़क प्रशय और अभय मुद्रा धारण करते हैं तथा वाम भाग की भुजाओं में सर्प पाश घण्टा प्रलयश्ति और अंकुश धारण किए रहते हैं उन नाना अलंकारों से विभुति एवं सपटिक मणियों के समान श्वेत वर्ण भगवान पार्वती पति को नमस्कार है
हे शिव मैं अग्यानी लोभी हुं |हे नाथ जैसा भी हुं जो भी हुं आप का हूं |हे प्रभु हे नाथ सभी स्त्री पुरूष मे किट -पतग से लेकर चन्द्र -सुर्य तक आपको ही देखु ऐसा मेरा मन हो जाए ।
हे नाथ मै चहता हुं हे प्रभु “इस अनित्य और असुखम शरीर से आप के स्वरूप सहित नाम का चिन्तन होता रहे |हे नाथ आप मे रुचि हो गई हैं आप के चरणों मे प्रिती बढती जाए आप से यही प्रार्थना हैं मेरे नाथ व
हे भगवन हे मेरे प्रभु मै आप का हूं. आप का ही हूं |
मेरे चित में ये जाग्रति हमेशा बनी रहे ||
O Lord, O Shiva, O Mahadev, the unborn, the eternal, I salute you, I salute you, I salute you. Who is a peaceful form, sits on a lotus seat, wears a moon crown on his head, has five faces, three eyes, holds Shul Varj Khadak Prashay and Abhaya Mudra in his right arms and a snake in his left arms. Salutations to the husband of Lord Parvati, who wears Pash Ghanta Pralayashti and Ankush, is adorned with those various ornaments and is white in complexion like Saptik gems. Oh Shiva, I am ignorant and greedy. Whatever I am like, O Lord, I am yours. O Lord, I wish to see only you among all the men and women, from kites to kites to the moon and the sun. O Lord, I wish that this impermanent and restless body should keep thinking about your name along with your form. O Lord, I have become interested in you, may the love for your feet increase, this is my prayer to you, my Lord. Oh God, my Lord, I belong to you. I belong to you only. May this awareness always remain in my mind.