मन तड़पत हरि दरशन को आज ॥

मन तड़पत हरि दरशन को आज ॥
मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज ।
आ विनती करत हूँ रखियो लाज ॥

मन तड़पत हरि दरशन को आज ॥

तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी
मेरी ओर नजर कब होगी
सुन मेरे व्याकुल मन की बात ॥मन तड़पत हरि दरशन को आज ॥

बिन गुरू ग्यान कहाँ सेे पाऊं
दीजो दान हरि गुन गाऊं
सब गुनी जन पे तुम्हारा राज ॥मन तड़पत हरि दरशन को आज ॥

मुरली मनोहर आस न तोड़ो
दु:ख भंजन मेरा साथ न छोड़ो
मोहे दरशन भिक्षा दे दो आज। मन तड़पत हरि दरशन को आज ॥मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज ।

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